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सिद्धान्तसार दीपक उपर्युक्त गद्य का सम्पूर्ण भर्थ निम्नाङ्कित तालिका में निहित है । विशेष इतना है कि एक एक महादेवियों की परिकार प्रादि देवांगनानों का एकत्रित प्रमाण भी दर्शा दिया है।
क्रियिक शरीर
परिवार देवांगनाएँ
क्रमांक
अनदेधियों का प्रमाण
एक महा देवी का
| पाठों महा देवी का | एक महा- पाठों महा देवां
देवो को | गनाओं की
सौधर्मशानेन्द्र
मूल शरीर रहित १६०००
१२८०००
१६०००
१२८०००
२
साo-मा०
"
॥ ३२०००
२५६०००
८०००
६४०००
ब्रह्मन्द्र
६४०००
५१२०००
४०००
३२०००
लान्तवेन्द्र
१०२४०००
२०००
१६०००
,, १२८००० ,, २५६०००
२०४८०००
१०००
5000
शतारेन्द्र
४०६६०००
५००
Yooo
[मामतादि ४ इन्द्र |
,
,
, १०२४०००
८१९२०००
| २५०
।
२०००
अब समस्त महावेवियों के प्रासादों को ऊँचाई आदि का प्रमाण कहते हैं:--
महादेवीसमस्तप्रासादानामुदयोधिकः । विशत्यायोजनानां स्यादवल्लभाभवनोदयात् ॥१७॥ प्रासादानां तथायामः स्वोत्सेधात् पञ्चमांशकः ।
पूर्षयदशमो भागो विष्कम्भः सर्वतो भवेत् ॥१७३।। अर्थ:-समस्त महादेवियों के प्रासादों की ऊँचाई वल्लभा देवांगनाओं के प्रासादों की ऊंचाई से बीस-बीस योजन अधिक है, पायाम अपनी अपनी ऊंचाई का पांचर्चा भाग और विष्कम्भ पूर्व के सदश अपनी अपनी ऊँचाई के दश भाग प्रमाण है ।।१७२-१७३।।
(तालिका अगले पेज पर देखें)