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अष्टमोऽधिकारः
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भवन्त्युपसमुद्राश्चतुस्त्रिशस्छाश्वतेतराः ।
धारस्तो मूतारज्यसदने ।।१८१॥ अर्थ:-जम्बूद्वीप में पूर्व भद्रशाल और पश्चिम भद्रशाल नाम के दो वन हैं । जम्बू और शाल्मली नाम के दो वृक्ष हैं । छह कुलाचलों पर छह सरोवर हैं। सीतासीतोदा के मध्य में बोस हद हैं । दो जघन्य भोगभूमियाँ, दो मध्यम और दो उत्कृष्ट, इस प्रकार छह भोगभूमियां हैं। भरतरावत सहित चौंतीस महादेश हैं और प्रार्य खण्डों में स्थित चौतीस ही नगरी ( राजधानियां ) हैं । अनाद्य निधन चौंतीस उपसमुद्र हैं, एनं देवारण्य नाम के दो तथा भूतारण्य नाम के दो उत्तम वन हैं ।।१७८-१८१॥ प्रब जम्बूद्वीपस्थ समस्त नवियों का विवेचन करते हैं :
द्वादशव विभाङ्गाख्या नधस्तास्ताश्च पिण्डिताः । परिवाराहयानद्यस्त्रिलक्षमहितान्यपि ॥१८॥ स्युः पत्रिंशत्सहस्राणि विवहक्षेत्रमध्यपाः । गङ्गायाः क्षुल्लिका नद्यरचतुःषष्टिप्रमाणकाः ॥१३॥ प्रासां पिण्डीकृताः सर्वाः परिचारास्यनिम्नगाः। षण्णवतिसहस्राणिह्यष्टलक्षयुतान्यपि ॥१८४॥ चतुर्दशमहानद्यः सप्तक्षेत्रान्तराध्वगाः। गङ्गादिप्रमुखास्तासां परिवारनदीवजाः ।।१८।। मेलिताः पञ्चलक्षाप्रसहस्रषष्टिसम्मिताः । सप्ताग्रदशलक्षाणि द्वियुता नवतिस्तथा ॥१८६॥ सहस्राणि नवत्या सहेति संख्या जिनोविताः ।
मूलोतरनवीनां सर्वासा द्वीपे किलादिमे ॥१७॥ अर्थ:- विदेह क्षेत्र में विभङ्गा नदियाँ १२ हैं, (प्रत्येक नदी की सहायक नदिया २८००० हैं, अतः २८०००४ १२ =) इनकी समस्त परिवार नदियों का योग ३३६००० होता है। विदेह देशस्थ गङ्गासिन्धु और रक्ता-रक्तोदा ६४ हैं, (इनमें प्रत्येक को परिवार नदियां १४००० हैं ) अत: इनको परिवार नदियों का कुल योग (१४००० x ६४ =) ८६६००० होता है ॥१८२-१८४।। जम्बूद्वीपस्थ सात क्षेत्रों के मध्य में बहने वाली गंगादि चौदह महानदियां हैं, जिनकी परिवार नदियों का कुल योग (गंगा,सिन्ध,रक्ता और रक्तोदा की १४०००४ ४-५६००.+रोहित, रोहितास्या, स्वर्णकला, रूप्या कूला की २८०००४४=११२०००+हरि, हरिकांता, नारी, नरकान्ता को ५६०००x४ = २२४००० +और सीता, सीतोदा की १६८०००) १७६२००० है । इनमें मूल नदियां (१४+१२+ ६४ = ) to और मिला देने से जम्बूद्वीपस्थ कुल नदियों का योग १७६२०६० होता है ।।१८५-१८७