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सप्तमोऽधिकार:
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मध्य में स्थित अवशेष कूटों के गृहों में अपने-अपने कुटों के नामधारी और अपनी-अपनी देवांगनाओं से युक्त व्यन्तर देव रहते हैं ॥२१॥ कूटों की ऊँचाई अपने-अपने गजदन्तों की ऊँचाई का चतुर्शभाग माना गया है । ग्रादि और अन्तिम कूट को छोड़ कर शेष कूटों के ह्रास एवं वृद्धि का प्रमारप पृथक् पृथक् है ।।२२।।
विशेषार्थ:-महासौमनस और माल्यवान् गजदन्तों पर नौ-नौ तथा विद्यत्प्रभ और गन्धवान् गजदन्तों पर सात-सात वट अवस्थित हैं । मेरु के समीपस्थ ऋदों को ऊँचाई १२५ योजन और कुलाचलों के समीपस्थ कूटों की ऊँचाई १०० योजन है। मध्य के कूटों को ऊँचाई का प्रमाण निकालने के लिए हानि चय का प्रमाण निकालना चाहिए । यथा-अंतिम कुट की ऊंचाई के प्रमाण में से प्रथम कट को ऊँचाई घटा कर अवशेष को एक कम पद से भाजित करने पर हानिचय का प्रभारण प्राप्त होता है और इसको एक कम इष्ट गच्छ रो गुरिणत कर मुख में जोड़ने से इष्ट कूटों को ऊँचाई प्राप्त हो जाती है । (वि० सा गा० ७४६) जैसे:---१२५---१००-२५: ( एक कम पद अर्थात् ६-१-):-३६ योजन महासौमनस और माल्यवान् गजदन्तों पर स्थित बूटों का हानि-वृद्धिचय है और १२५-१०० ... २५ (७-१)-६-४, विद्युत्मभ और गन्धवान् के कूटों का हानि-वृद्धि चय है । चय को इष्ट गच्छ से गुगित कर मुख में जोड़ते जाने से प्रत्येक कूटों की ऊँचाई प्राप्त हो जाती है ।
अथ कूटानां प्रत्येक मुत्सेधो व्याख्यायतेः--
सौमनसस्य गन्धमादनस्य च गिरेः कुल पर्वतपावें प्रथमे लघुकटे उन्नतिर्योजनानां शतं स्यात्। द्वितीये च चतुरुत्तरं शतं योजनस्थ षड्भागानामेको भागः । तृतीये अष्टोत्तरशतं योजनस्यतृप्तीयोभागः। चतुर्थे द्वादशोत्तर शतं द्वौ कौशौ च । पंचमे षोडशाग्नशतयोजन विभागानां द्वौ भागो । षष्ठे विंशत्यधिकशतं योजनषड्भागानां पञ्चभागाः । सप्तमे सर्वज्येष्ठ कूटे मेरु समी उत्सेधः योजनानां पञ्चविंशत्यग्रशतं स्यात् । विद्युत्प्रभगिरेर्माल्यवतश्च कुलाचल निकटे आदिमे लघुक्टे उन्नतिर्योजनानां शतं भवेत् । द्वितीये कूटे च अर्धक्रोशाग्रत्रयोनातं । तृतीये क्रोश धिकषडुत्तरशतं । चतुर्थे सार्धक्रोशाग्रनवोत्तरशतं । पञ्चमे साधद्वादशोत्तरशतं । पाटे साधं द्विक्रोश पञ्चदशाधिकशतं । सप्तमे त्रिकोशाग्राष्टादशाधिक शतं । अष्टमे सार्वत्रिकोशाग्र कवि गत्यधिकशतं । नवमे सर्वबृहत्दूटे मेरुसन्निधौ योजनानामुत्सेधः पञ्चविंशत्यग्रशतं स्यात।
उपर्युक्त गद्यांश का समस्त अर्था निम्नाङ्कित तालिका में निहित किया गया है:
[ प्रत्येक कूटों का पृथक् पृथक् उत्सेध तालिका प्रमले पृष्ठ पर देखें।]