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श्री संवेगरंगशाला
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समय पर उसका गुणाकर नाम रखा। वह शरीर और बुद्धि के साथ बढ़ने लगा। उसके पश्चात् किसी एक दिन वहाँ श्री तीर्थंकर परमात्मा पधारे, वहाँ मनुष्य और गुणाकर भी उसी समय उनको वन्दन के लिए गया,
और जगत्नाथ को वन्दन कर वह पृथ्वी पीठ पर बैठा। फिर प्रभु ने हजारों संशय को नाश करने वाली, शिव सुख को प्रगट करने वाली, कुदृष्टि मिथ्यात्व और अज्ञान को दूर करने वाली, कल्याण रूपी रत्नों को प्रगट करने के लिए पृथ्वी तुल्य उपदेश दिया। इससे अनेक मनुष्यों को प्रति बोध हुआ। कईयों ने विरति धर्म स्वीकार किया, और कईयों ने मिथ्यात्व का त्याग कर सम्यक्त्व को स्वीकार किया। फिर अति हर्ष के समूह से रोमांचित देहवाला वह गुणाकर उचित प्रसंग प्राप्त कर जगद् गुरू को नमस्कार करके इस प्रकार कहा किहे भगवन्त ! पूर्व जन्म में मैं कौन था ? इस विषय में मुझे जानने की बहुत तीव्र इच्छा है, अतः आप कहिए । जगत्प्रभु ने उसे हितकर जानकर रुद्र नामक क्षुल्लक साधु के भव से लेकर उसके सारे पूर्व भवों का वृत्तान्त विस्तारपूर्वक कहा । उसे सुनकर भय से व्याकुल मन वाला हुआ और गाढ़ पश्चाताप जागृत होने से वह बो ना-हे नाथ! इस महापाप का क्या प्रायश्चित होगा ? जगत् गुरु ने कहा- हे भद्र ! साधु के प्रति बहुमान आदि करने के बिना अन्य किसी तरह से शुद्धि नहीं है । इस भयंकर संसार से भयभीत बने उसने पांच सौ साधुओं को वंदन आदि विनय कर्म करने का अभिग्रह किया और यथोक्त विधि से वह उसे पालन करने लगा, और जिस दिन पूरे पांच सौ साधु का संयोग नहीं मिले उस दिन वह भोजन का त्याग करता था। इस तरह छह महीने अभिग्रह को पाल कर अन्तिम में देह की संलेखनापूर्वक मरकर पाँचवें ब्रह्मदेव लोक में देव रूप उत्पन्न हुए।
वहाँ भी अवधि ज्ञान के बल से भूतकाल का वृत्तान्त जानकर तीर्थंकर और साधुओं को वंदन आदि प्रवृत्ति करते उसने देवभव पूर्ण करके, वहाँ से आयुष्य पूर्ण कर चम्पापुरी में राजा चन्द्र राजा का पुत्र रूप में जन्म लिया, वह बुद्धिमान वहाँ भो पूर्वभव में साधुओं के प्रतिदृढ़ पक्षपाती होने से पूज्य भाव से मुनियों को देखकर जाति स्मरण ज्ञान को प्राप्त किया और सन्तोष का अनुभव करने लगा। इससे ही माना पिता ने उसका नाम प्रिय साधु रखा, फिर युवावस्था में उसने संयम स्वीकार किया, वहाँ भी समस्त तपस्वी साधु की सेवा आदि करने में तत्पर बना, विविध अभिग्रह स्वीकार करने में एक लक्ष्य वाला और अप्रमादी वह जीवन पर्यन्त तक संलेखना करके अनुक्रम से