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श्री संवेगरंगशाला
चिलाती पुत्र की कथा पृथ्वी प्रतिष्ठित नगर में श्री जैन शासन की निन्दा करने में आसक्त, अभिमानी पण्डित यज्ञदेव नाम का ब्राह्मण रहता था। बाद में जो जिससे हारे वह उसका शिष्य हो जाए ऐसी प्रतिज्ञापूर्वक करता था। एक दिन प्रवर बुद्धिमान साधु ने उसे बाद में जीत लिया, और उसे दीक्षा दी, परन्तु वह बाद में दीक्षा छोड़ने की इच्छा की तो उसे देवी ने निषेध किया, इससे वह साधु धर्भ में निश्चल बना। तो भी जाति भेद के कारण मन में, शरीर, वस्त्र पर मैल जम जाने से उस पर घणा करता था। उसके बाद अपने समग्र स्वजन वर्ग को प्रतिबोध दिया मगर जिसके साथ उसका विवाह हुआ था उस पर गाढ़ प्रेम होने से वह दीक्षा त्याग करना चाहता था, फिर भी निश्चल चित वाला सद् धर्म में तत्पर वह दिन व्यतीत करता था, अतः किसी दिन उसकी स्त्री ने अपने वश करने के विचार से उस साधु के आहार में वशीकरण चूर्ण दिया, उसके दोष से वह मुनि मरकर देवलोक में देव रूप में उत्पन्न हुआ, और पति की मृत्यू से विरक्त होकर उसने भी दीक्षा ली, वह भी आलोचना किये बिना मर कर देवलोक में उत्पन्न हुई। इधर यशदेव का जीव देवलोक से आयुष्यपूर्ण कर राजगृह नगर में धन सार्थवाह के घर में साधुत्व पर घृणा करने के दोष से चिलाती नाम की दासी के पुत्र रूप में जन्म लिया। चिलाती दासी का पुत्र होने से लोगों में वह चिलती पुत्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ, यज्ञदेव की स्त्री स्वर्ग से च्यवकर उसी धन सार्थवाह की पत्नी भद्रा की कुक्षि से पाँच पुत्रों के बाद सुषमा नाम की पुत्री रूप में पैदा हुई । उसो पुत्री की देखभाल रखने के लिए सेठ ने चिलाती पुत्र को नियुक्त कर दिया वह सायना होते ही बड़ा झगड़ा करने वाला और उदण्ड हो जाने से सार्थवाह ने उसे घर से निकाल दिया। वह घूमता फिरता एक पल्ली में गया वहाँ उसने गाढ़ विनय से पल्लीपति को अति प्रसन्न किया, फिर पल्लीपति मर गया तब चोर समूह इकट्ठा होकर 'यह योग्य है' ऐसा समझकर उसे पल्लीपति पद पर स्थापन किया और महा बल वाला अत्यन्त क्रूर वह गाँव, पुर, नगर आदि को मारने लूटने लगा।
एक समय उसने चोरों को कहा कि राजगृह नगर में धन नामक सार्थवाह रहता है, उसकी सुषमा नाम की पुत्री है, वह मेरी और धन लूटो वह सब तुम्हारा। अतः चलो वहाँ जाकर उसे लूटकर आयें। चोर सहमत हुये, फिर रात को वे राजगृह में गये और अब स्वापिनी निद्रा देकर उस ममय धन सार्थपति के घर में प्रवेश किया, चोरों ने घर लूटा और चिलातो पुत्र ने भी