________________
७८
श्री संवेगरंगशाला शुश्रुषा को नहीं करने वाला तथा ऋक्ष और पसीने के मैल से युक्त शरीर वाला लोच करने से शोभा रहित मस्तक वाला, बड़े नख-रोम वाला जो साधु हो वह ब्रह्मचर्य का रक्षण करने वाला है यह शरीर शुश्रुषा त्यगा द्वार कहा । पुराने, मलीन, प्रमाणोपेत-प्रमाणानुसार, अल्प मूल्य वाले वस्त्र जीव रक्षा के लिए रखने से भी वस्र रहित तत्त्व जानना इससे परिग्रह का त्याग होता है, अल्प उपधि होती है, अल्प पडिलेहन होती है निर्भयता, विश्वासपात्रता, शरीर सुखों का अनादर, जिनकी सादृश्यता, वीर्यचार का पालन, रागादि दोषों का त्याग, इत्यादि अनेक गुणों आचेलकय से होता है । यह आचेलय द्वार है।
लोच से लाभ :-(१) महासात्त्विकता प्रगट होता है, (२) श्री जिनाज्ञा पालन रूप जिनेश्वर भगवान का बहुमान होता है, (३) दुःख सहनता, (४) नरकारि की भावना से निर्वेद, (५) अपनी परीक्षा और (६) अपनी धर्म श्रद्धा, (७) सुखशीलता का त्याग और (८) क्षर कर्म से होने वाला पूर्व-पश्चात् कर्म के दोषों का त्याग होता है, (६) शरीर में भी निर्ममत्व, (१०) शोभा का त्याग, (११) निर्विकारता और (१२) आत्मा का दमन होता है। इस प्रकार लोच में विविध गुणों की प्राप्ति होती है, और दूसरे लोच करने से जूं आदि होने से पीड़ा होती है, मन में संकलेश होता है, और हर समय खुजाने से परिताप आदि दोष होते हैं। यह लोच द्वार कहा है। इस तरह साधु सम्बन्धी पाँच प्रकार का सामान्य लिंग कहा है। अब गृहस्थ और साधु दोनों के उन लिंगों के कुछ विशेष कहूँगा।
गहस्थ साधु के सामान्य लिग:-ज्ञानादि गुण, गुणों की खान श्री गुरुदेव के चरण कमल की सेवा करने में तत्परता, थोड़े भी अपराध होने पर बार-बार अपनी निन्दा, सविशेष आराधना करने में रक्त मुनियों की श्रेष्ठ कथाएँ सुनने की इच्छा, अतिचार रूपी कीचड़ से मुक्त, निरतिचार जीवन व्यतीत करने वाला, मूल गुणों की आराधना में प्रीति, पिंड विशुद्धि आदि मुख्य क्रियाओं में बद्ध लक्ष्य, पूर्व में स्वीकार किये संयम में लिखध स्थिरता, इत्यादि गुणों के समूह वह साधुओं का विशेष लिंग जानना, हित की अभिकांक्षा वाले गृहस्थों को भी यह लिंग यथायोग्य जानना। केवल ऐसे गुण वाले भी जो किसी कारण क्रोध से फंसकर संयम में प्रेरणा करने द्वारा सद्गति के प्रस्थान में सार्थपति समान सद्गुरु प्रतिप्रद्वेष करता है, वह कुलबालक मुनि के समान शीघ्र आराधना रूपी धर्म के महान् निधान की प्राप्ति से भ्रष्ट होता है। उसकी कथा इस प्रकार है :