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श्री संवेगरंगशाला
रूप नहीं किया हो । श्री जैनेश्वर के वचन में श्रद्धा नहीं की और जो विपरीत प्ररूपण (कथन) किया हो उन सबकी भव्य आत्मा को सम्यक् रूप से आलोचना लेना चाहिए। इस तरह छठा गृहस्थ सम्बन्धी आलोचना दान नाम का द्वार जानना । अब आयुष्य परिज्ञान द्वार को अल्पमात्र कहते हैं :
सातवाँ काल परिज्ञान द्वार :-इस तरह कथनानुसार विधि से आलोचना देने के बाद उसमें कोई गृहस्थ समग्र आराधना करने में सशक्त हो अथवा कोई अशक्त भी हो, उसमें सशक्त भी कोई निरोगी शरीर वाला अथवा कोई रोगी भी हो, इस तरह अशक्त भी दो प्रकार का होता है। उसमें अशक्त या सशक्त यदि मृत्युकाल के नजदीक पहुँचा हो, वह तो पूर्व कथनानुसार विधि से शीघ्र भक्त परीक्षा-अनशन को स्वीकार करे, और अन्य को मृत्यु के नजदीक या दूर जानकर उस काल के उचित हो, वह भक्त परीक्षा आदि करना योग्य गिना जाता है। इसमें मृत्यु नजदीक है अथवा लम्बे काल में मृत्यु होगी, यह तो यद्यपि श्री सर्वज्ञ परमात्मा के बिना सम्यग् रूप नहीं जान सकते हैं। इस दुषम् काल में तो विशेषतया कोई भी नहीं जान सकता है। फिर भी उसको जानने के लिए उस विषय के शास्त्रों के सामर्थ्य योग द्वार से कुछ स्थूल -मुख्य उपायों को मैं बतलाता हूँ। जैसे बादल से वृष्टि, दीपक से अन्धकार में रही हुई वस्तुएँ, धुएँ से अग्नि, पुष्प से फल की उत्पत्ति, और बीज से अंकुर को जान सकते हैं, वैसे ही इस ग्यारह उपाय के समूह से प्रायः बुद्धिमान को मृत्युकाल की भी जानकारी हो सकती है । वह उपाय इस प्रकार से हैं :_ मृत्युकाल जानने के ग्यारह उपाय :-(१) देवता के प्रभाव से, (२) शकुन शास्त्र से, (३) उपश्रुति अर्थात् शब्द श्रवण द्वारा, (४) छाया द्वार; (५) नाड़ी ज्ञान द्वारा, (६) निमित्त से, (७) ज्योतिष द्वारा, (८) स्वप्न से, (8) अमंगल या मंगल से, (१०) यन्त्र प्रयोग से, और (११) विद्या द्वारा मृत्युकाल का ज्ञान हो सकता है । जैसे कि
१. देवता द्वार :-इसमें प्रवर विद्या के बल द्वारा विधिपूर्वक अंगूठे के नख में, तलवार, दर्पण में, कुण्ड में आदि में उतारकर तथा विधि-उस प्रकार देवी को पूछने पर वह अर्थ को कहती है, परन्तु आह्वान करने वाला पुरुष अत्यन्त पवित्र बना हुआ और निश्चल मन वाला, विधिपूर्वक उस देवता का आह्वान् की विद्या का स्मरण करे। वह विद्या “ॐ नर वीरे ठठ" इस तरह कही है, उसका सूर्य या चन्द्र का ग्रहण हो तब दस हजार और आठ बार जाप करके विद्या को सिद्ध करना चाहिए। फिर कार्यकाल प्राप्त होने पर एक