________________
श्री संवेगरंगशाला
२४१
प्राप्त करने से वह महात्मा पुष्प चल दीक्षित हआ, और उसके स्नेह से पूष्प चला ने भी दीक्षा ग्रहण की। फिर सूत्र अर्थ का अभ्यास कर उस धीर पुरुष पुष्प चूल मुनि जैन कल्प को स्वीकार करने के लिए आत्मा को एकत्व भावना से अत्यन्त अभ्यासी होने लगा। तब एक देव ने उसकी परीक्षा के लिए पुष्प चूला का दूसरा रूप बतलाकर जरा पुरुष बलात्कार से व्रत भंग करने लगा। तब वह उस दुःख से पीड़ित हो बोली-हे बड़े भाई मेरा रक्षण करो।' उसे देखते भी शुद्ध परिणाम वाले उस धीमान् पुष्प चूल मुनि ने उसकी अवगणना की-हे जीव ! तू अकेला ही है, ये बाह्य स्वजनों के योग्य से तुझे क्या है ? इस तरह एकत्व भावना के वासित धर्म ध्यान से अल्पमान भी चलित नहीं हुए।
५. धैर्य बल भावना :-यदि अत्यन्त दुःसह, लगा हुआ और अल्प सत्त्व वालों को भयजनक समग्र परीषहों की सेना उपसर्ग सहित चढ़कर आये तो भी धीरता में अत्यन्त दृढ़, शीघ्र एक साथ पीड़ा होते हुये भी मुनि अपना इच्छित पूर्ण होता हो, इस तरह व्याकुलता रहित उसे सहन करता है। यह विशुद्ध भावना से चिरकाल आत्म शुद्धि करके मुनि दर्शन, ज्ञान और चारित्र में उत्कृष्टता से विचरण करता है । जैन कल्प को स्वीकार कर महामुनि इन भावनाओं द्वारा जैसे आत्मा की समर्थता बतलाता है, वैसे ही यह उत्तमार्थ का साधक भी यथाशक्ति इन भावनाओं से अपने को वासित करता है, उसमें किसी का दोष नहीं है ? इसलिए सत्त्व वाले वह भगवन्त श्री आर्य महागिरि को ही धन्य है कि जिन्होंने जैन कल्प का विच्छेदन होने पर भी उसका परिकर्मअर्थात् आचरण किया था। वह इस प्रकार है :
आर्य महागिरि का प्रबन्ध ___ कुसुमपुर नगर के नन्द राजा को सम्यग् बुद्धि का समुद्र, जैन दर्शन के भेदों को जानने वाला, शकडाल नामक श्रावक मन्त्री था। रूप से कुबेर के पुत्र समान, पवित्र गुणों से शोभित, अत्यन्त विलासी और भोगी, स्थूल भद्र नामक उसका पुत्र था। जब वररुचि के प्रपन्च से नन्द राजा को रुष्ट हुआ देखकर शकडाल ने जहर खाकर मृत्यु की सिद्धि की, तब महासात्त्विक स्थूल भद्र को राजा ने कहा कि-'हे धीर ! तेरे पिता के मन्त्री पद को स्वीकार कर और कुविकल्प छोड़कर, प्रचन्ड राज्य भार को पूर्व की नीति द्वारा धारण कर।' फिर घरवास को मधुर और परिणाम से अहितकर जानकर तथा विषय की आसक्ति को छोड़कर उस स्थूल भद्र ने संयम रूपी उत्तम योग को स्वीकार किया। तथा आचार्य संभूत विजय के पास सूत्र अर्थ का अभ्यास करके उस