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श्री संवेगरंगशाला
के समान किसी तरह नहीं शान्त होने वाला वह ईन्धन से अग्नि बढ़ती है, वैसे लाभ रूपी ईन्धन से अत्यन्त बुद्धि को प्राप्त करता है। लोभ सर्व विनाशक है, लोभ परिवार के मनोभेद करने वाला है और लोभ सर्व आपत्तियों वाला दुर्गति में जाने के लिए राजमार्ग है। इसके द्वारा घोर पापों को बढ़ाकर उसके प्रायश्चित किये बिना का मनुष्य अति चिरकाल तक संसार रूपी भयंकर अटवी में बार-बार परिभ्रमण करता है। और जो महात्मा लोभ के विपाक को जानकर विवेक से उससे विपरीत चलता है, अर्थात् सन्तोष भाव को रखता है वह उभय लोक में सुख का पात्र बनता है । इस पाप स्थानक में कपिल ब्राह्मण दृष्टान्त रूप है कि जो दो मासा की इच्छा करने वाला भी करोड़ सुवर्ण मोहर लेने की इच्छा प्रगट हुई और उसके प्रतिपक्ष-सन्तोष में भी समग्र स्थूल और सूक्ष्म भी लोभ के अंश को नाश करने वाला और केवल ज्ञान के प्रकाश को प्राप्त करने वाला उस कपिल का ही दृष्टान्त रूप है, वह इस प्रकार :
कपिल ब्राह्मण की कथा कौशाम्बी नगर में यशोदा नामक ब्राह्मणी थी, उसको कपिल नाम का पुत्र था, वह छोटा था उस समय उसके पिता की मृत्यु हुई। एक समय पति के समान उम्र वाला दूसरा वैभव सम्पन्न ब्राह्मण को देखकर पति का स्मरण हो आया इससे वह रोने लगी, तब माता को कपिल ने पूछा कि-माता ! आप क्यों रो रही हो ? उसने कहा कि-हे पुत्र ! इस जीवन में मुझे बहुत रोना है। उसने कहा-किस लिये ? माता ने कहा कि-हे पुत्र ! जितनी सम्पत्तियाँ इस ब्राह्मण के पास हैं उतनी सम्पत्तियाँ तेरे पिता के पास थीं, परंतु तेरे जन्म के बाद वह सब सम्पत्तियाँ नष्ट हो गई हैं। कपिल ने कहा किकौन से गुण द्वारा मेरे पिता ने धन प्राप्त किया था। उसने कहा कि उन्होंने वेद की कुशलता से धन प्राप्त किया था। प्रतिकार करने की इच्छा रूप रोषपूर्वक कपिल ने कहा कि मैं भी वैसा अभ्यास करूँगा। माता ने कहाश्रावस्ती में तेरे पिता के मित्र इन्द्रदत्त नाम के उपाध्याय के पास जाकर इस प्रकार का अभ्यास कर। हे पुत्र ! यहाँ पर तुझे सम्यग् प्रकार से अध्ययन कराने वाले कोई नहीं हैं। उसने माता की आज्ञा स्वीकार की और वह श्रावस्ती पुरी में इन्द्रदत्त के पास गया, उसने आने का कारण पूछा ? तब उसने सारा वृत्तान्त कहा। अपना प्रिय मित्र का पुत्र जानकर उपाध्याय ने उसे आलिंगन किया और कहा कि वत्स ! सांगोपांग चारों वेदों का अभ्यास कर, परन्तु इस नगर में समृद्धशाली धन सेठ को तू भोजन के लिए प्रार्थना कर । कपिल ने उस