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श्री संवेगरंगशाला
उस समय श्री महावीर परमात्मा भी उस नगर में पधारे थे और श्री गौतम स्वामी ने भी भिक्षा के लिए प्रवेश किया। फिर लोग मुख से सात द्वीप समुद्र की बात सुनकर आश्चर्य होते श्री गौतम प्रभु के वापिस आकर उचित समय पर प्रभु से पूछा कि-हे नाथ ! इस लोक में द्वीप समुद्र कितने हैं ? प्रभु ने कहा कि असंख्यात द्वीप समुद्र हैं। इस प्रकार प्रभु से कथित और लोगों के मुख से सुनकर सहसा शिवऋषि जब शंका-काक्षा से चल-चित्त हुआ, तब उसका विभंग ज्ञान उसी समय नष्ट हो गया और अतीव भक्ति समूह से भरे हुए उसने सम्यग्ज्ञान के लिए श्री वीर परमात्मा के पास आकर नमस्कार किया। फिर दो हस्त कमल मस्तक लगाकर नजदीक की भूमि प्रदेश में बैठकर और प्रभु के मुख सन्मुख चक्षु को स्थिर करके उद्यमपूर्वक सेवा करने लगा। तब प्रभु ने देव, तिर्यंच और मनुष्य से भरी हुई पर्षदा को और शिवऋषि को भी लोक का स्वरूप और धर्म का रहस्य विस्तारपूर्वक समझाया। इसे सुनकर सम्यक् ज्ञान प्राप्त हुआ उसने प्रभु के पास दीक्षा ग्रहण की और तपस्या करते उस महात्मा ने आठ कर्मों की अति कठोर गाँठ को लीला मात्र में क्षय करके रोग रहित, जन्म रहित, मरण रहित और उपद्रव रहित अक्षय सुख को प्राप्त किया। इसलिए हे क्षपक मुनि ! जगत के स्वरूप को जानकर वैरागी, तू प्रस्तुत समाधिरूप कार्य की सिद्धि के लिए मन को अल्पमान भी चंचल मत करना। हे क्षपक मुनि ! लोक स्वरूप को यथा स्थित जानने वाला प्रमाद का त्याग कर तू अब बोधि की अति दुर्लभता का विचार कर । जैसे कि :
११. बोधि दुर्लभ भावना :-कर्म की परतन्त्रता के कारण संसाररूपी वन में इधर-उधर भ्रमण करते जीवों को त्रस योनि भी मिलना दुर्लभ है क्योंकि सत्र सिद्धान्त में कहा कि जो कभी भी त्रणत्व का पर्याय जन्म प्राप्त नहीं किया ऐसे अनंत जीवात्मा हैं वे बार-बार स्थावरपने में ही उत्पन्न होते हैं और वहीं मर जाते हैं। उनमें से महा मुश्किल से त्रण जीव बनने के बाद भी पंचेन्द्रिय बनना अति दुर्लभ है और उसमें पंचेन्द्रिय के अन्दर भी जलचर, स्थलचर और खेचर योनियों के चक्र में चिरकाल भ्रमण करने से जैसे अगाध जल वाले स्वयंभू रमण समुद्र में आमने सामने किनारे पर डाला हुआ बैलगाड़ी का जुआ
और कील का मिलना दुर्लभ है वैसे ही मनुष्य जीवन मिलना भी अति दुर्लभ है और उसमें बोधि ज्ञान की प्राप्ति अति दुर्लभ है। क्योंकि, मनुष्य जीवन में भी अकर्म भूमि और अन्तर द्वीपों में प्रायःकर मुनि विहार का अभाव होने से