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श्री संवेगरंगशाला
रूप उसका नाम (रत्नाकर) करेंगे। क्रमशः बचपन व्यतीत होते समग्र शास्त्रअर्थ का जानकार होगा। कई समान उम्र वाले और पवित्र वेष वाले विद्वान उत्तम मित्रों से घिरा हुआ होगा, प्रकृति से ही विषय के संग से पराङ मुख, संसार के प्रति वैरागी, और मनोहर वन प्रदेश में लीला पूर्वक घमते वह रत्नाकर एक समय नगर के नजदीक रहे पर्वत की झाड़ी में विशाल शिला ऊपर अणसण स्वीकार किया हुआ और पास में बैठे मुनिवर उनको सम्पूर्ण आदर पूर्वक हित शिक्षा दे रहे थे। इस प्रकार विविध तप से कृश शरीर वाले दम घोष नामक महामुनिराज को देखें।
उनको देखकर (कहीं मैंने भी ऐसी अवस्था को स्वयं मेव अनुभव की है।) ऐसा चिन्तन करते उसे उसी समय जाति स्मरण ज्ञान उत्पन्न होगा। और उसके प्रभाव से पूर्व जन्म के अभ्यस्त सारी आराधना विधि का स्मरण वाला बुद्धि रूप नेत्रों से वह गृहवास को पारा रूप, विषयों को विष तुल्य, धन को भी नाशवाला और स्नेहीजन के सुख को दुःख समान देखते सर्व विरति को स्वीकार करने की इच्छा वाला फिर भी माता-पिता की आज्ञा से विवाह से विमुख भी कुछ वर्ष तक घर में रहेगा और धर्ममय जीवन व्यतीत करते वह विशाल किल्ले और द्वार से सुशोभित ऊँचे शिखरों की शोभा से हिमवंत और शिखरी नामक पर्वनों के शिखरों को भी हँसते अथवा हंसते पवन से नाच करती ध्वजाओं की रणकार करती मणि को छोटी-जोटी घंटड़ियों से मनोहर चन्द्र कुमुद-क्षीर समुद्र का फेन और स्फटिक समान उज्जवल कान्तिवाले, गीत स्तुति करते एवं बोलते भव्य प्राणियों के कोलाहल से गूंजती दिशाओं वाला, हमेशा उत्सव चलने से नित्य विशिष्ट पूजा से पूजित, दिव्य वस्त्रों के चंद्रवों से शोभित, मध्य भाग वाला मणि जड़ित भूमि तल में मोतियों के श्रेष्ठ ढ़ेर वाला, हमेशा जलते कुंद्रूस कपूर धूप आदि सुगन्धि धूप वाला, पुष्पों के विस्तार की सुगंध से भोंरों भू-भौंकी गंज करने वाला तथा अति शान्त दीप्य और सुन्दर स्वरूप वाला श्री जिन बिम्ब से सुशोभित अनेक श्री जिन मंदिर को विधि पूर्वक बनायेगा।
तथा अति दुष्कर तप और चारित्र में एकाग्र मुनिवरों की सेवा करने में रक्त होगा। सार्मिक वर्ग के वात्सल्य वाला, मुख्य रूप उपशम गुण वाला, लोक विरुद्ध कार्यों का त्यागी, यत्न पूर्वक इन्द्रियों के समूह को जीतने वाला होगा, सम्यक्त्व सहित अणुव्रत, गुणव्रत तथा शिक्षाव्रत को पालन करने में उद्यमी होगा, शान्त वेश को धारण वाला और श्रावक की ग्यारह प्रतिमा आराधना द्वारा सर्वविरति का अभ्यास करने वाला होगा। इस प्रकार निष्पाप