Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Padmvijay
Publisher: NIrgranth Sahitya Prakashan Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 620
________________ श्री संवेगरंगशाला ५६७ मणि समान स्वभाव से निर्मल भी जीव को मलिन कर देता है, जो जामुन खाने वाले छह पुरुषों के परिणाम की भिन्नता से समझ सकते हैं, वह हिंसादि भावों की विविधता के परिणाम वाला हो, उसे लेश्या कहते हैं । इस पर दो दृष्टान्त कहते हैं । वह इस प्रकार : छह लेश्या का दृष्टान्त किसी एक जंगल में भूख से व्याकुल छह पुरुष घूम रहे थे । वहाँ मानो आकाश के आखिर विभाग को खोजने के लिए ऊँचा बढ़ा न हो इस प्रकार विशाल मूल वाला, अच्छी तरह पके हुए फलों के भार से नमी हुई टहनी वाला, फैली हुई बहुत छोटी डाली वाला, सर्व प्रकार से जामुन गुच्छों से ढका हुआ, प्रत्येक गुच्छे में सुन्दर दिखने वाले पक्के ताजे सुन्दर जम्बू वाला, तथा पवन के कारण नीचे गिरे हुए फल वाली भूमि वाला, कभी पूर्व में नहीं देखा हुआ साक्षात् कल्पवृक्ष के समान एक जामुन के वृक्ष को देखा । इसे देखकर परस्पर वे कहने लगे कि - अहो ! किसी भी तरह अति पुण्योदय से इस वृक्ष को हमने प्राप्त किया है । इसलिए पधारो ! थोड़े समय में इस महावृक्ष के ये अमृत समान फलों को खायेंगे। सभी ने खाने का स्वीकार किया । परन्तु फलों को किस प्रकार खाना चाहिये ? तब वहाँ एक बोला कि -- ऊपर चढ़ने वाले को प्राण का सन्देह है, अतः वृक्ष को मूल में से काटकर नीचे गिरा देना चाहिए। दूसरे ने कहा कि - इस तरह बड़े वृक्ष को सम्पूर्ण रूप में काटने से हमें क्या लाभ होगा ? हमें फल खाने हैं तो सिर्फ इसकी एक बड़ी शाखा काटकर गिरा दो । तीसरे ने कहा कि -बड़ी शाखा तोड़ने से क्या लाभ ? सिर्फ उसकी एक छोटी टहनी को ही काट दो । चौथा बोला कि - सिर्फ उसके गुच्छे तोड़ लेने से अपना काम हो सकता है । पाँचवें ने कहा कि - अजी गुच्छे तोड़ने से क्या फायदा ? केवल पके हुए और खाने योग्य फलों को ही तोड़ लेना चाहिए । छठा बोला कि - फल तोड़ने की क्या आवश्यकता है ? जितने फलों की आवश्यकता है, उतने पके फल तो इस वृक्ष के नीचे गिरे हैं, उन्हीं से भूख मिटाकर प्राणों का निर्वाह हो जायेगा । इस दृष्टान्त का उपनय इस प्रकार कहा है किपेड़ को मूल से काटने वाला पुरुष कृष्ण लेश्या में रहता है । बड़ी शाखा काटने वाला पुरुष नील लेश्या वाला है । छोटी टहनी काटने वाला कपोत लेश्या वाला है । और गुच्छों को तोड़ने वाला तेजो लेश्या वाला है, जानना । वृक्ष के ऊपर रहे पके फलों को खाने वाले की इच्छा पद्म लेश्या वाला है और स्वयं नीचे गिरे पड़े फलों को ग्रहण करने का उपदेश देने वाला शुक् लेश्या में रहा हुआ जानना चाहिए । । I

Loading...

Page Navigation
1 ... 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648