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श्री संवेगरंगशाला
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श्रावक पुत्र था जो अणुव्रतधारी था और स्वदार संतोषी था और दूसरे दो मिथ्या दृष्टि थे । किसी समय नाव में विविध प्रकार का अनाज लेकर धन प्राप्ति के लिये वे पारस बन्दरगाह पर आए और भवितव्यतावश उन वेश्याओं के घर में रहे । केवल एक वेश्या ने अणुव्रतधारी श्रावक पुत्र को निर्विकारी मन वाला देखकर पूछा - हे भद्र ! आप कहाँ से आये हैं ? और ये दो तेरे क्या होते हैं ? उसे कहो ! उसने उससे कहा कि - हे भद्रे ! हम गिरि नगर से आए हैं, हम तीनों परस्पर मित्र हैं और हमारी तीनों की माताओं को चोरों
हरण किया है। उन्होंने कहा कि - हे भद्र ! वर्तमान काल में भी वहाँ क्या जिनदत्त, प्रियमित्र और धनदत्त तीनों व्यापारी रहते हैं ? उसने कहा किउनके साथ तुम्हारा क्या सम्बन्ध है ? उन्होंने कहा कि वे हमारे पति थे और हमारे तीनों का एक-एक पुत्र था, इत्यादि सारा वृत्तान्त सुनाया, इससे उसने कहा कि- मैं जिनदत्त का पुत्र हूँ और ये दोनों उन दोनों के पुत्र हैं । ऐसा कहने पर अपने पुत्र होने के कारण वह गले से आलिंगन कर मुक्त कण्ठ से अत्यन्त रोने लगी और पुत्र भी उसी तरह रोने लगा । क्षणमात्र सुख-दुःख को पूछकर मित्रों को अकार्य करते रोकने की बुद्धि से जल्दी उन मित्रों के पास गया और एकान्त में वह सारी बात कही, इससे वे दोनों उसी समय माता भोग करने के पाप द्वारा शोक से अत्यन्त व्याकुल हुए । फिर बहुत धन देकर उन तीनों को वेश्याओं के हाथ में से छुड़ाकर उनको साथ लेकर नगर की ओर चले ।
समुद्र मार्ग में चलते दोनों मित्रों को ऐसी चिन्ता प्रगट हुई कि - हमने महाभयंकर अकृत्यकारी कार्य किया है, हम अपने स्वजनों को मुख किस तरह दिखायेंगे ? इस तरह संक्षोभ के कारण लज्जा से दोनों मित्र परदेश में चले गये और उनकी माताएँ वहीं समुद्र में गिरकर मर गईं। वह अणुव्रतधारी श्रावक पुत्र माता को लेकर अपने नगर में गया और उसका सर्व व्यतिकर जानकर नगर के लोगों ने प्रशंसा की । यह सुनकर - हे सुन्दर ! परम तत्त्व के जानकार पुरुषों को भयजनक अब्रह्म (मैथुन) को त्याग कर दे और आराधना के एक मन वाले तू ब्रह्मचर्य का पालन कर । इस तरह मैथुन नामक चौथा पाप स्थानक कहा है अब पांचवाँ परिग्रह पाप स्थानक को कहता हूँ ।
५. परिग्रह पाप स्थानक द्वार : - यह परिग्रह सभी पाप स्थानक रूपी महेलों का मजबूत बुनियाद है और संसार रूपी गहरे कुएँ की अनेक नीक का प्रवाह है । पण्डितों द्वारा निन्दित अनेक कुविकल्प रूप अंकुर को उगाने वाला