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श्री संवेगरंगशाला
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प्रवृत्ति करता है, आठ मद रहित और विषय सुख की तृषा से रहित है, वह संथारे के फल का हिस्सेदार बनता है। जो तपस्वी समता से युक्त मन वाला हो, संयम, तप, नियम के व्यापार में रक्त मन वाला और स्व-पर कषायों को उपशम करने वाला हो उसे संथारा का फल वास्तविक रूप में प्राप्त कर सकता है । अच्छी तरह गुणों को विस्तार करने वाला संथारा को जो सत्त्पुरुष प्राप्त करता है, उसी ने जीवलोक में सारभूत धर्म रत्न को प्राप्त किया है। सर्व क्षमा रूपी बख्तर से सर्व अंगों की रक्षा करता, सम्यग् ज्ञानादि गुण और अमूढ़ता रूप शस्त्र को धारण करता अतिचार रूपी मलिनता से रहित और पंच महाव्रत रूपी महा हाथी के ऊपर बैठा हुआ क्षपक वीर सुभट प्रस्तुत संथारा रूपी युद्ध की भूमि में विलास करते उपसर्ग और परिषहों रूपी सुभट से प्रचण्ड कर्म शत्रु की प्रबल सेना को सर्व प्रकार से जीतकर आराधना रूपी विजय ध्वजा को प्राप्त करता है, क्योंकि-तीन गुप्ति से गुप्त आत्मा श्रेष्ठ संलेखना के करने के लिये सम्यक्त्व रूपी पृथ्वी के संथारा में अथवा विशुद्ध सद्धर्म गुणरूपी तृण से संथारा में अथवा प्रशम रूपी काष्ठ के संथारा में या अति विशुद्ध लेश्या रूपी शिला के संथारा में आत्मा को स्थिर करता है, इससे वह आत्मा ही संथारा है। और विशुद्ध प्रकार से मरने वाले को तो तृणमय संथारा या अचित्त भूमि पर आराधना में कारण नहीं है, आत्मा ही स्वयं अपना संथारा आधार बनता है। जो त्रिविध-त्रिविध उपयोग वाला है उसे तो अग्नि में भी, पानी में भी अथवा त्रस जीवों के ऊपर या सचित्त बीज और हरी वनस्पति के ऊपर भी संथारा होता है। अग्नि, पानी और त्रस जीव आदि के संथारे में अनुक्रम से धीर गजसुकुमार, अग्नि का पुत्र आचार्य और चिलाती पुत्र आदि के दृष्टान्त हैं, वह इस प्रकार है
अग्नि संथारे पर गजसुकुमार की कथा द्वारिका नगरी में यादव कुल में ध्वजा समान अर्द्ध-भरत की पृथ्वी का स्वामी श्री कृष्ण नामक अन्तिम वासुदेव था। उसका गजसुकुमार नाम का छोटा भाई था। इच्छा नहीं होने पर भी माता और वासुदेव आदि स्वजनों के आग्रह से उसने सोमशर्मा नाम के ब्राह्मण की पुत्री के साथ विवाह किया, परन्तु श्री नेमिनाथ भगवान के पास धर्म को सुनकर सारे जगत को क्षीण, विनश्वर जानकर नवयौवन होने पर भी और रूप से कामदेव समान होने पर भी वह चरम शरीरी महासत्त्वशाली गजसुकुमार साधु बना और भय मोहनीय से रहित निर्भय बनकर वह भगवान के साथ गाँव, नगरादि में विहार करने