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श्री संवेगरंगशाला
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सुन्दरी नन्द की कथा इस जम्बू द्वीप में भारतवर्ष के अन्दर इन्द्रपुरी समान पण्डितजनों के हृदय को हरण करने वाली, हमेशा चलते श्रेष्ठ महोत्सव वाली, श्री वासुपूज्य भगवान के मुखरूपी चन्द्र से विकसित हुई, भव्य जीव रूपी, कुमुद के वनों वाली, लक्ष्मी से शोभित, जगत् प्रसिद्ध चम्पा नामक नगरी थी। वहाँ कुबेर के धन भण्डार को पराभव करने वाला, महान् धनाढ्य वाला, वहाँ का निवासी विशिष्ट गुण वाला धन नामक सेठ रहता था। उसकी तामलिप्ती नगरी का रहने वाला वसु नामक व्यापारी के साथ निःस्वार्थ मित्रता हुई। जैन धर्म पालन करने में तत्पर और उत्तम साधुओं के चरण कमल की भक्ति करने वाले वे दिन व्यतीत करते थे। एक दिन हमेशा अखण्ड प्रीति को वे दोनों सेठ चाहते थे। अतः धन सेठ ने अपनी पुत्री सुन्दरी को वसू सेठ के पुत्र नन्द को दी। और अच्छे मुहूर्त में बहुत लक्ष्मी समूह को खर्च कर जगत् के आश्चर्य को उत्पन्न करने वाला उन दोनों का विवाह किया। उसके बाद पूर्वोपार्जित पुण्य रूपी वृक्ष के उचित सुन्दरी के साथ विषय सुख रूपी फल को भोगते नन्द के दिन बीत रहे थे। बुद्धि की अति निर्मलता के कारण जैन मत के विज्ञाता भी नन्द को भी एक समय पर विचार आया कि-व्यवसाय रूपी धन उद्यम बिना का पुरुष लोग में निन्दा पात्र बनता है और कायर पुरुष मानकर उसे पूर्व की लक्ष्मी भी शीघ्र छोड़ देती है । अतः पूर्वजों की परम्परा के क्रम से आया हुआ समुद्र मार्ग का व्यापार करूँ। पूर्वजों के धन से आनन्द करने में मेरी क्या महत्ता है ? क्या वह भी जगत में जीता गिना जाये कि जो अपने दो भुजाओं से मिले हुए धन से प्रतिदिन याचकों को मनोवांछित नहीं देता ? विद्या, पराक्रम आदि गुणों से प्रशंसनीय आजीविका से जो जीता है, उसका जीवन प्रशंसनीय है। इससे विपरीत जीने वाले, उस जीवन से क्या लाभ ? पानी के बुलबुले के समान जगत में क्या पुरुष अनेक बार जन्म-मरण नहीं करता है ? तात्त्विक शोभा बिना के उस जन्म और मरण से क्या प्रयोजन है ? उसकी प्रशंसा किस तरह की जाये कि जब सत्पुरुषों की प्रशंसा होती है, उस समय अपने त्यागादि अनेक गुणों से उनका प्रथम नम्बर नहीं आता ? अर्थात् सत्पुरुषों में यदि प्रथम नम्बर नहीं आता उसकी प्रशंसा कैसे हो? ऐसा विचार कर उसने शीघ्र अन्य बन्दरगाह में दुर्लभ अनाज समूह से भरकर जहाज से समद्र के किनारे तैयार किये । और जाने के लिए अति उत्सुक देखकर उसके विरह सहन करने में अति कायर बनने से अत्यन्त शोकातुर सुन्दरी ने उससे