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श्री संवेगरंगशाला
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मर जायेगा । इस तरह जो अपनी मुख में से निकली हुई जीभ के अन्तिम भाग नहीं देख सकता वह भी एक अहोरात्री रहता है । अब दस श्लोक से काल चक्र की विधि को कहते हैं ।
अपनी अवस्था के अनुसार द्रव्य और भाव से परम पवित्र बनकर श्री अरिहंत परमात्मा की उत्कृष्ट विधि से श्रेष्ठ पूजा करके, दाहिने हाथ की शुक्ल पक्ष के रूप में कल्पना करके उसकी कनिष्ठा अंगुली के नीचे के पौर में प्रतिपदा, मध्यम पौर में षष्ठी तिथि और ऊपर के पौर में एकादशी तिथि की कल्पना करे, फिर प्रदक्षिणाक्रम से शेष अंगुलियों के पौर में शेष तिथियाँ कल्पना करें, अर्थात् अनामिका अंगुली के तीनों पौरों में दूज, तीज और चौथ की मध्यमा के तीनों पौरों में सप्तमी, अष्टमी और नवमी की तथा तर्जनी के तीनों पौरों में द्वादशी, त्रयोदशी और चतुर्दशी की कल्पना करनी, और अंगूठे के तीनों पौरों में पंचमी, दशमी और पूर्णिमा की कल्पना करनी चाहिये । इसी तरह बाएँ हाथ में कृष्ण पक्ष की कल्पना कर दाहिने हाथ के समान अंगुलियों के पौरों में तिथियों की कल्पना करे, उसके बाद महासात्त्विक बुद्धिशाली आत्मा एकान्त प्रदेश में जाकर पद्मासन लगा करके दोनों हाथों को कमलकोश के आकार में जोड़ करके प्रसन्न और स्थिर मन, वचन, काया वाला उज्जवल वस्त्र से अपने अंग को ढांककर उसमें ही एक स्थिर लक्ष्य वाला उस हस्त कमल में काले वर्ण के एक बिन्दु का चिन्तन करे, उसके बाद हस्त कमल खोलने पर जिस-जिस अंगुली के अन्दर कल्पित सुदि, बदि तिथि में काला बिन्दु दिखाई दे उसी तिथि के दिन निःसन्देह मृत्यु होगी, ऐसा समझ लेना चाहिए । ऐसा हो वर्णन योगशास्त्र प्रकाश ५ श्लोक १२९ से १३४ तक में आया है । श्री गुरू वचन बिना निश्चय सकल शास्त्र के जानकार होने पर भी, लाखों जन्म में भी किसी तरह अपनी को नहीं जान सकता है । अर्थात् इस विषय में गुरूगम से जानना आवश्यक है । इस तरह दस गाथा से यह काल ज्ञान को बतलाया है । इसका ध्यान प्रतिपदा के दिन करे कि जिससे मृत्यु ज्ञान हो सके।
जिसके ललाट, हृदय में अथवा मस्तक में आकृति से दूज के चन्द्र समान अपूर्व नस्तें का उभार हो अथवा रेखा हो, या जिसके मस्तक में उपला के चूर्ण समान दिखे, अथवा गाढ़ काला श्याम दिखे उसका जीवन एक महीने में विनाश हो जायेगा । दाँत भी जिसके सहसा अत्यन्त नये उत्पन्न हों, या कड़कड़ाहट वाले बनें, रुखे अथवा श्याम बन जायें तो उसे भी यम के पास जाने वाला समझना । दाँत के किसी रोग के बिना भी अचानक जिसके दाँत गिरों