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श्री संवेगरंगशाला
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भूमितल स्पर्श करते अभय कुमार 'महा प्रसाद' ऐसा कहकर आज्ञा को मस्तक पर चढ़ाकर तीन रास्ते में, चार रास्ते में, चौक आदि स्थान पर सावधानीपूर्वक खोज करने लगा, इस तरह कई दिन बीत गये, परन्तु चोर का कोई पता नहीं लगा तब अभय कुमार अत्यन्त चिंतातुर हुआ इतने में किसी नट ने नगर के बाहर नाटक आरम्भ किया वहाँ बहुत मानव समूह एकत्रित हुआ, अभय कुमार ने भी वहाँ जाकर स्वभाव जानने के लिए कहा-हे मनुष्यों ! जब तक नाट्यकार नहीं आता है तब तक एक बात सुनाता हूँ। उन्होंने भी कहा हे नाथ ! सुनाइए, तब अभय कुमार कहने लगा
बसन्तपुर नगर में जीर्ण नाम का सेठ था। उसकी एक पूत्री थी। दरिद्रता के कारण पिता ने उसकी शादी नहीं की, इससे वह बड़ी उम्र में वर के प्रयोजन से कामदेव की पूजा करने लगी। एक दिन पूजा के लिए उद्यान में से चोरी से फूलों को चुनती उसे देखकर माली ने कुछ विकारपूर्वक उसे बुलाया, उसने उससे कहा-क्या तुझे मेरे समान बहन बेटी नहीं है कि जिससे कुमारी अवस्था में भी मुझे ऐसा कह रहा है ? उसने कहा कि-यदि तू विवाह बाद पति के सेवन से पहले मेरे पास आएगी तो तुझे छोडंगा अन्यथा नहीं जाने दूंगा। 'हाँ मैं ऐसा करूँगी' ऐसा स्वीकार करके वह अपने घर गई, फिर किसी दिन प्रसन्न होकर कामदेव ने उसे सुन्दर मन्त्री पुत्र का वर दिया, और अति श्रेष्ठ लग्न के समय हस्तग्रह योग में उसने उसके साथ विवाह किया। उस समय सूर्य का बिम्ब अस्ताचल पर पहुँच गया, फिर काजल और भ्रमर के समान कान्ति वाली अति अन्धकार की श्रेणी सर्व दिशाओं में फैल गई, उसके बाद रानी विकासी कमद के खण्ड की जडता को दूर करने वाला चन्द्र मण्डल का उदय हआ, विविध मणिमय भूषणों से शोभित मनोहर सव अंगों वाली वह वास भवन में पहँची और पतिदेव को निवेदन किया कि- 'विवाह के बाद पहले मेरे पास आना' ऐसा माली का वचन उस समय मैंने स्वीकार किया था, इसलिए-हे प्रियतम ! मैं वहाँ जाती हूँ, आप आज्ञा दीजिए। 'यह सत्य प्रतिज्ञा वाली है ऐसा सोचकर पति ने आज्ञा दे दी, फिर वह श्रेष्ठ आभूषणों से युक्त उसे नगर के बाहर जाते देखकर चोर 'आज तो महानिधान मिला है' ऐसा बोलकर उसे पकड़ा और उसने अपनी बात कही, चोर ने कहा-हे सुतनु ! जाओ, परन्तु शीघ्र वापिस आना कि जिसस तेरी चोरी कर चला जाऊँ ‘ऐसे ही करूंगी' ऐसा कहकर वह चली, फिर आधे मार्ग में चपल पुतली से आकुल उछलती आँखों की कटाक्ष वाला, रणकार करते महान दाँत वाला, अत्यन्त फाड़ा हुआ भयंकर मुखरूपी गुफा वाला 'आओ-आओ, बहुत समय से भूखा