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श्री संवेगरंगशाला
वाली जिसने पूर्व में मेरे स्नेह से सहेलियों को स्वजन, माता-पिता को भी त्याग किया है वह यह मेरी बहन पुष्पचूला यहाँ कैसे ? अभी मेरे प्राण से अत्याधिक इसे मारकर अति महान पाप को करने वाला, स्वयं निर्लज्ज मैं किस तरह जी सकता था ? अथवा बहन को खत्म करने से पाप की शुद्धि कौन-से प्रशस्त तीर्थ में जाकर, अथवा विशिष्ट तप से हो सकती ? ऐसा चिन्तन करते शोक के भार से व्याकुल हुए, अपने पाप कर्म से संतप्त वह बहन के गले लगकर रोने लगा । आश्चर्य से व्याप्त चित्त के विचार वेग वाली पुष्पचूला ने वंकचूल को मुश्किल से शय्या में बैठाकर इस प्रकार कहा - हे भाई ! तू मेरू पर्वत के समान दृढ़ सत्त्व वाला, उदार प्रकृति वाला है फिर भी अचानक ही मेरे गल लगकर क्यों रोता है ? और तेरे आगमन के समय तो रसपल्ली में प्रत्यक घर के दरवाजे उज्जवल ध्वजाओं से सजाये जाते थे, मनुष्य हष आवश मे माग भी छाटा पड़ता था, और अत्यन्त अनिष्ट उत्पन्न होते अथवा गाढ़ आपत्ति आने पर भी रोने की बात तो दूर रही तेरा मुख कमल भी नहीं बदलता था, उसके बदल तू निस्तेज दीन मुख वाला उसमें भी परिवार बिना एकाकी वह भी गुप्त इस तरह घर में क्यों प्रवेश किया ? तब उसने परिवार के विनाश की सारी घटना कही और परपुरुष समझकर उठाई हुई तलवार को टकराने की बात भी बहन को कही, और कहा कि - हे बहन ! मैं परिवार के विनाश का शोक नहीं करता, परन्तु शोक यह करता हूँ कि अभी सहसा तुझे मैंने इस तरह मार दिया होता, इससे ही अभी भी यह प्रसंग का स्मरण करत मैं नेत्रा में आसु के एकमात्र प्रवाह को भी नहीं रोक सकता हूँ । है बहन ! तू किस कारण से इस तरह पुरुष का वेश धारण करके भाभी के साथ सोई थी ? वह मुझ कह ।
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उसने कहा- भाई ! आप विजय यात्रा के लिए गये थे उस समय यहाँ नट आए, उन्होंने मुझसे पूछा- यहाँ पल्लिपति हैं या नहीं ? तब मैंने सोचा कि यदि ना कह दूंगी तो वह सुनकर किसी शत्रु का आदमी आपके साथ गाढ़ वैर रखने वाले सीमा के राजाओं को कह दे तो और वे अवसर जनाकर पल्ली में उपद्रव करें, ऐसा नहीं बने इस कारण से मैंने कहा, पल्ली के मुकुट की मणि वह स्वयं वकचूल यहाँ रहे, केवल वे अन्य कार्य में रुके हुए हैं । फिर उन्होंने मुझसे पूछा नाटक कब दिखायें ? मैंने कहा - रात्रि को, कि जिससे वे शान्ति - पूर्वक देख सकें । उन्होंने उसी तरह ही रात्रि को नाटक प्रारम्भ किया, इससे मैं पुरुष का सुन्दर वेश धारण करके तुम्हारे समान बनकर भाभी के साथ वहाँ
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