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harat टोका प्र. १ सूं. ५ रुप्यजीव प्रज्ञापनानिरूपणम्
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विधाः प्रज्ञप्ताः तद्यथा - कर्कश स्पर्शपरिणताः, १, मृदुकस्पर्शपरिणताः २, गुरु कस्पर्शपरिणताः ३,लघुकस्पर्शपरिणताः ४, शीतस्पर्शपरिणताः ५, उष्णस्पर्शपरिणताः ६, स्निग्धस्पर्शपरिणताः ७, रूक्षस्पर्शपरिणताः ८, ये संस्थानपरिणतास्ते पञ्चविधाः प्रज्ञप्ता स्तद्यथा - परिमण्डलसंस्थान परिणताः १, वृत्तसंस्थानपरिणताः २, त्र्यत्रसंस्थानपरिणताः ३, चतुरस्रसंस्थानपरिणताः ४, आयत संस्थानपरिणताः, ५, (२५) ॥ सू० ५ ॥
रूप में परिणत (महुररतपरिणया) मिठे रस के रूप में परिणत (जे) जो (फासपरिणया) स्पर्श रूप में परिणत (ते) वे (अठ्ठाविहा) आठ प्रकार के (पता) कहे है (तं जहा) वह इस प्रकार (कक्खड फासपरिणया) कठोर स्पर्श के रूप में परिणत (मउय फासपरिणया) कोमल स्पर्श के रूप में परिणत ( गस्यकासपरिणया) भारी स्पर्श के रूप में परिणत ( लहुयासपरिणया) हल्के स्पर्श के रूप में परिणत ( सीयफांस परिणया) शीत स्पर्श के रूप में परिणत ( उसीण फासपरिणया) गर्म स्पर्श के रूप में परिणत (शिद्ध फासपरिणया) चिकने स्पर्श के रूप में परिणत ( लक्खफासपरिणया) रूखे स्पर्श के रूप में परिणत (जे) जो (संटाणपरिणया) संस्थान आकार रूप में परिणत (ते) वे (पंचविहा) पांच प्रकार के ( पण्णत्ता) कहे (तं जहा) वह इस प्रकार है ( परिमंडलसंठाणपरिणया) गोलाकार में परिणत ( वह संठाणपरिणया) चुडी के समान आकार में परिणत (तंस संठाण परिणया) तिकोने (अंबिलरस परिणया) पाटा रसना उपमा परिणत (महुग्रसपरिणया) भीठा रसना ३५मा परिणत (जे) ? (फासपरिणया) स्पर्श उपमां परित (ते) तेमा (अट्ठविहा) मा प्रहारना (पन्नत्तः) ४ छे (तं जहा ) ते या प्रारे (कक्खडफासपरिणया) १२ स्पर्शना मां परित (मउयकास परिणया) अभदास्पर्शना भां परिणत (गरुथफासपरिणया) लारे स्पर्शना उपमा परिणत ( लहुयफासपरिणना) (६५ स्पर्श ३ये परित (सीयफासपरिणया) शीत स्पर्शना उपमा परिणत (उसिणफासपरिणया) गरम स्पर्शना उपभा परिणत (द्धिफासपरिणया) या स्पर्शना ३५भा पश्शुित (लुम्खफासपरिणया) परमया स्पर्शना ३५मा परिणत (जे) ने ( संठाणपरिणया) सस्थान आार उपमा परिणत (ते) तेथे (पंचविहा) पाय अारना (पण्णत्ता) ह्या छे (तं जहा) ते मा प्रारे (परिमंडलसं ठाणपरिणया) गोणाक्षरमा परिणत ( बट्टसं ठाणपरिणय) यूडीना समान मारमा परिणत (तंससंठाणपरिणय।) त्रशु भुलाना आारमा परित (चउरससंठाणपरिणया) चतुरस्त्र आस्मां परित (आययसंठाणपरिणया) दाणां भारभां परिश्रुत ॥ ५ ॥