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पट्तुओं के पुष्प विद्यमान रहते थे, अनेक प्रकार पक्षीगण अपने २ मनोरुषक राग मान रहे थे, मृगों की पछि ये मातीमाती मुस्लाकृति को खिए श्वस्ववः भावन कर रही थीं, जिनके मिप लोचन चलते हुए पक्षिकों के हृदयों को पयस्कान्त के समान आकर्षण करके पे selan उस बन की उपमा दिने ! पाप जो पुरुष उसका एकबार देख लेता था, पर अपने जन्म को उस दिन से ही फल समझता था ।
सो पूर्वोक्त नगर में जैसि मभावशाली पुएब प्रेम परम विख्यात “संयत" नामक राम्रा राज्य अनु शासन करता था जिसका पूर्व भाग्योन्य से घम, याम्प, मन वाहन पश्व गमादि राज्य के योग्य सर्व सामग्री पूण्णतया प्राप्त थी, एकदा या राजा च मकार की सभा का साथ शंकर मास्नेवक निमित्त अर्थात् शिकार स्पेटने के लिए दशरी पन च गया, मर्दा एक म श्याम मर्णीय मृग दृष्टिगोचर हुमा, और कर
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प्हाने की चष्टा करक भागगया, स्ि
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मारता की आपण शक्ति का
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या फिर पापा
महुआ बान राम के हृदय में सुमित