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प्रमेयवन्द्रिका टीका श०१० उ०५ सू०२ चमरेन्द्रादीनामग्रेमहिषोनिरूपणम् १८१ चतस्र : अग्रमहिष्य : प्रज्ञप्ता, शेषं कालप्रकरणोक्तवदेवावसे यम् । स्थविराः पृच्छन्ति-'किन्नरस्सणं भंते ! पुच्छा ?' हे भदन्त ! किन्नरस्य खलु कति अग्रमहिष्य : प्रज्ञप्ता : इति पृच्छा, भगवानाह-'अज्जो! चत्वारि आगमहिसीओ पण्णत्ताओ' हे आर्याः! किन्नरस्य चतस्त्रः अग्रमहिष्य : प्रज्ञप्ताः 'तंजहा-वडेंसा १, केतुमई २, रइसेगा ३, रइपिया ४,' तद्यथा-वतंसा १, केतुमती२ रतिसेना३ रतिप्रिया ४, च 'तत्थणं से सं तंचेव' तत्र खलु चतसृषु अग्रमहिषीषु मध्ये एकैकस्याः अग्रमहिष्याः एकैकं देवीसहस्रं परिवार : शेषं तदेव चमरलोकपालोक्तवदेव अवसे यम् तथाच-ताभ्य : एकैका देवीसहस्रं परिवारं विकुवितुं प्रभु : इत्यादि स्स वि' इसी प्रकारका कथन महाभीम के विषय में भी समझना चाहिये। इसकी भी चोर अग्रमहिषियां हैं । आदि आदि-अब स्थविर प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'किन्नरस्त णं भंते ! पुच्छा' हे भदन्त ! किन्नर की कितनी अग्रमहिषियों कही गई हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु कहते हैं-'अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ' हे आयों ! किन्नर की अग्रमहिपियां चार कही गई हैं 'तं जहा' जो इस प्रकार से हैं- 'वडेंसा १. केत. मई २, रहसेणा ३, रइप्पिया ४' वतंसा १, केतुमती २, रतिसेना ३
और रतिप्रिया ४, 'तत्थ णं सेसं तं चेव' इन चार अग्रमहिषियों में से एक २ अग्रमहिषी का देवी परिवार एक २ हजार का कहा गया है। बाकी का और सब कथन चमर के लोकपाल की तरह से जानना चाहिये। तथाच-उनमें से एक २ देवी अपनी विकुर्वणा शक्ति द्वारा एक २ हजार देवी परिवार की और भी विकुर्वणा कर सकती है
महाभीमरस वि" महालाभन ५ या समलिपीमा छ. तमना પણ ૧૦૦૦-૧૦૦૦ દેવીઓને પરિવાર છે, ઈત્યાદિ સમસ્ત કથન પિશાચેન્દ્ર કાળના કથન પ્રમાણે સમજવું.
स्थविशन प्रश्न- किन्नरस्त ण भते ! पुच्छा" भगवन् ! तराना ઈન્દ્રને કેટલી અમહિષીઓ છે? ___ महापार प्रसुन उत्त२-" अजो चत्तारि अग्गमहिसीओ पणत्ताओ» 0 माय। नशा छन्द्रने यार सश्रमहिषायो ४ी छे. "त'जहा" तेमना नाम नाय प्रभाव है-"वडे'सा, केतुमई, रइसेणी, रइप्पिया" (१) तसा, (२) तुमती, (3) २तिसेना भने (४) २तिप्रिया. " तत्थण सेसं त'चेव"ते ચારમાંની પ્રત્યેક અગ્રમહિષીને એક એક હજારનો દેવી પરિવાર છે તે પ્રત્યેક દેવી પિતાની વિકુણાશક્તિથી એક એક હજાર દેવીઓનું નિર્માણ કરી શકે