Book Title: Bhagwati Sutra Part 09
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 731
________________ ७०७ प्रमैयचन्द्रिका टीका श० १३ उ० २ ० १ उदायनरामवर्णनम् - चम्पानगरी वर्णनवदवसेयम् । चन्द्रावतरणं नाम चैत्यम्-उद्यानम् आसीत् , वर्णकः, अस्य चन्द्रावतरणस्य चैत्यस्य वर्णनम् पूर्णभद्रनामकचैत्यवर्णनवद् विज्ञेयम् - 'तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स ण्णो पोत्ते, सयाणीयस्स रणो पुस चेडगस्स रणो नत्तुए, मिगावतीए देवीए अत्तए, जयंतीए समणोवासियाए भत्तिज्जइ. उदायणे नामं राया होत्था, वण्णओ' तत्र खलु कौशाम्ब्यां नगर्याम्, सहस्रानी: कस्य राज्ञः पौत्र:-पुत्रस्यापत्यम् , शतानीकस्य राज्ञः पुत्रः, चेटकस्य राज्ञो नप्तापुत्रीपुत्रः, मृगावत्या देव्याः आत्मजः-तनूजा, जयन्त्याः श्रमणोपासिकाया: भावजः-भातपुत्रः, उदायनो नाम राजा आसीत् , वर्णकः, अस्य उदायनस्य राज्ञो, वर्णनं कूणिकराजादिवर्ण नवदवसेयम् ; 'तस्थ णं कोसंवीए नयरीग सहस्साणीयस्स रणो मुण्हा सयाणीयस्स रणो मज्जा चेडगस्स रणो, धूया, उदायणस्स,-रणों माया जयंतीए समणोवासियाए, भाउज्जा, मिगावती नामं देवो होत्था, वण्णओ, रण नाम का उद्यान था इसका भी वर्णन पूर्णभद्र चैत्य के , वर्णन की तरह से ही जानना चाहिए। 'तस्थ णं कोसंबीए नपरी ए, सहस्सा. णीयस्स रपणो पोत्ते सयाणीयस्त रणो पुत्ते, चेडगस्ल रणो नत्तुए। मिगावतीए देवीए अत्तए, जयंतीए लमणोवासियाए भत्तिज्जए उदायणे नाम राया होत्या-पणओ' उस कौशांधी नगरी में उदायन नाम का राजा था यह सहस्त्रानीक राजा का पौत्र था-पुत्र का पुत्र था-शतानीक राजा का पुत्र था, चेटक राजा का नाती था-पुत्री का पुत्र था, मृगावती देवी का पुत्र था-जयन्ती श्रमणोपालिका का भतीजा-भाई का पुत्र था इसका वर्णन कूणिक राजाकी तरह जानना चाहिये। 'तत्थण कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्त रण्णो सुहा, सयाणीयस्स रणो-भजा चेड, गस्स रणो धूया, उदायणस्स रणो माया जयंतीए समणोवासियाए નગરીનું વર્ણન સમજવું આ નગરીમાં ચન્દ્રાવતરણ નામનુ ઉદ્યાન હતું તેનું वन पूर्ण मद्र थैत्यना न ४ सभा. “ तत्थणं कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रणो पोत्ते सयाणीयस्स रणो पुत्ते, चेडगग्स रण्णो नत्तुए, मिगावतीए देवीए अत्तए, जयंतीए समणोवासियाए भत्तिज्जइ, उदायणे नाम राया होत्था, वण्णओ" તે કૌશામ્બી નગરીમાં ઉદયન નામને રાજા હવે તે સહસ્ત્રાનીક રાજાને પોત્ર અને શતાનીક રાજાને પુત્ર હતું તે ચેટક રાજાની દીકરીને દીકરો અને મૃગાવતીને પુત્ર હને જયન્તી શ્રાવિકાને તે ભત્રીજો (ભાઈને પુત્ર). थत तो : Ram : तेनु वान सभाj. “ तत्थणे कोसंबीए नयरोय सहस्साणीयस्स रगो सुण्हा, सयाणीयस्स रण्णो भज्जा, चेडगस्त रण्णो धूया, उदायणस्व रण्णो माया, जयंतीए समणोवासियाए भाउज्जा मिगावई नाम

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