Book Title: Bhagwati Sutra Part 09
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२४०२ ०२ उदायनवर्णनम्
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जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवर दुरूढा समाणी नियमपरिकालगा ज़हा उसमदत्तो जांब घम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ' ततः खलु सा मृगावती देवी जयन्त्या श्रमणोपासकया सार्द्धं धार्मिकं यानमवरम् आरुढा सती, निजकपरिवारका निजपरिवारपरिवृता यथा ऋषभदत्तमकरणे, नवमशतके जयत्रिंशत्तम देश के प्रतिपादितम् तथैवात्रापि प्रतिपत्तव्यम्र, यावत् - धार्मिकात् यान प्रवरात् प्रत्यवरोहति - अवतरति 'तरणं सा मियापई देवी जयंतीए समणोवासिया सद्धिं बहू खुज्जाहिं जहा देवाणंदा जाव वंदित्ता, नमंसिचा, उदायणं रायं पुरओ कहुठिया व जाव पज्जुत्रासह ' ततः सा मृगावती देवी जयन्त्या श्रमणोपासकया सार्द्धम् वहीभि. कुञ्जाभिः दासीभिः परिवृता यथा देवानन्दा नवशतके यशसोदेश के प्रतिपादिता तथैव यावद - वन्दित्वा नमस्त्विा सद्धिं वम्मियं जाणष्पवरं दुरूढा सभाणी नियगपरिवालगा जहा उसभ दत्तो जाब मियाओं जाणवराओ पच्चोरुहइ ' इस प्रकार श्रमणोपासिका जयन्ती के साथ - धार्मिक श्रेष्ट यान पर चढ़ी हुई वह मृगावती देवी अपने परिवार से युक्त हुए ऋषभदत्त के प्रकरण में नौवें शतक में ३३ वें उद्देशक में कहे अनुसार उस धार्मिक श्रेष्ठ घान से नीचे उतरी 'तणं सां मिगावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं बहूहि खुज्जाहिं जहा देवाणंदा जाव वंदित्ता नमसित्ता उदायण राय पुरओ कई ठिया चैव जात्र पज्जुवासह ' नीचे उतर कर उन मृगावतीने श्रमणोपासका जयन्ती के साथ २ अनेक क्रुज दाखियों से परिवृत हुई देवानन्दा की तरह जैसा कि नौवें शतक में ३३ वे' उद्देशक
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सा मावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि धम्मिय' जाणप्पवर दुरूढा समाणी नियगपरिवालगो जहा उसभदत्तो जाव धम्मियाओ, जाणप्पराओ पच्चोरुहइ" श्रमयेोपासिका व्यन्तीनी साथै ते धार्मि श्रेष्ठ यानमा मेसीने મહાવીર પ્રભુના દર્શન કરવા જતી તે મૃગાવતી દેવીનુ વર્ણન ઋષભદત્તના પ્રકરણમાં પેાતાના પરિવારથી યુક્ત એવી દેવાનંદા બ્રાહ્મણીના તે પ્રસ'ગના વણું ન ન પ્રમાણે સમજવું. ચન્દ્રાવતરણ ચૈત્ય (ઉદ્યાન)ની સમીપે તેમણે રથને ઊભા राज्याने तेथे। रथभांथी नीचे उतर्या "तपणं सा मियावई देवी जयंतीए समगोत्र' खियाए सद्धि बहूहिं खुज्जाहिं जहा देवाणंदा जाव वदित्ता नर्मसित्ता उदायण राय पुरओ कट्टु टिइया चेत्र जाव पज्जुवाखइ " त्यार माह, अने કુજાએથી વીટળાયેલી તે મૃગાવતી દેવીએ શ્રમણેાપાસિકા જયન્તીની સાથે મહાવીર પ્રભુને વંદણા નમસ્કાર કર્યાં અહી... સમસ્ત કથન નવમા શતકના

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