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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ११ उ०११ सू०२ प्रमाणकालनिरूपणम् अथकोऽसौ प्रमाणकालः कतिविधः प्रमाणकालः इत्यर्थः ।, भगवानाह-हे गौतम ! 'पमाणकाले दुविहे पण्णत्ते' प्रमाणकालः द्विविधः प्रज्ञप्तः, 'तंजहा' तद्यथा-स यथा-दिवसपमाणकालः १, रात्रिप्रमाणकालश्च २, अथ पौरुषी प्रमाणमाह"उक्कोसिया अद्धपचममुहूत्ता दिवसस्स वा, राईए वा पोरिसी भवई उत्कृष्टा-सर्वत उत्कर्षेण अर्द्धपञ्चममुहूर्ता-अर्द्धःपञ्चमो येषु मुहुर्तेषु ते अर्द्ध पञ्चममुहूर्ताः-सार्द्धचतुष्टयमुहूर्ता इत्यर्थः, ते अर्द्ध पञ्चमा मुहूर्ताः यस्या सा अर्द्धपञ्चममुहूर्ता, अप्टादशमुहूर्त्तस्य दिवसस्य रात्रे व चतुर्थों भागः नवघटिका रूपः सार्द्ध चतुष्टयमुहूर्तात्मक इत्यर्थः, दिवसस्य वा रात्रे वा पौरुषी भवति, 'जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसरस वा प्रमाणकाल का क्या स्वरूप है ? अर्थात् प्रणाम काल कितने प्रकार का है। इसके उत्तर में प्रभु ने उनसे ऐसा कहा-' पमाणकाले दविहे पण्णत्ते' हे सुदर्शन ! प्रमाणकाल दो प्रकार का कहा गया है।' जहा' जैसे-दिवसप्रमाणकाल और रात्रिप्रमाण काल (चउपोरिसिए दिवसे चउपोरिसिया राई भवइ) चार पहर का दिन और चार पहर की रात्रि होती है। अब पौरुषी के प्रमाण का कथन सूत्रकार करते हैं'उक्कोसिया अद्धपंचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भव। जिन चार मुहूतों में पांचवां मुहूर्त आधा है वे मुहर्त अर्द्ध पंचम मुहूर्त हैं। ये अपंचममुहूर्त जिस पौरुषी में होते हैं ऐसी वह पौरुषी अर्द्धपंचममुहूर्ता है । अठारहमुहूर्तवाले दिनका अथवा अठारह मुहर्तवाली रात्रि का जो नौ घड़ी रूप चौथाभाग है वह सार्ध चतुष्टय मुहर्त्तात्मक अर्थात् साढे चार ४॥ मुहूर्त का होता है। ऐसी सार्ध चतुष्टय मुहूर्तात्मक पौरुषी दिवस की अथवा रात्रि की होती है। यह दिन रात की उत्कृष्ट पौरुषी का प्रमाण
महावीर प्रसुन उत्तर-" पमाणकाले दुविहे पण्णत्ते" गौतम । प्रभा 10 में रन ४ो छे. “तंजहा" प्रा२। २मा प्रभारी छ-(१) हि सप्रमाण भने (२) शनिप्रभा
। वे सूत्रा२ पौरुषी (५२) ना अमानुनि३५ ४२ - .
"उकोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए 'वा पोरिसी भवइ" ચાર મહતું અને પાંચમું અર્ધ મુહૂર્ત મળીને અદ્ધ પંચમમુહૂર્ત થાય છે. એવાં અદ્ધપંચમ મુહૂર્ત (૪ મુહૂર્ત) ની પૌરુષી (પહેર) ને અર્ધપંચ અમહર્તા પૌરુષી કહે છે. અઢાર મુહૂર્તવાળા દિવસને અથવા ૧૮ મદર્તવાળી રાત્રિને જે નવ ઘડીરૂપ ચોથો ભાગ છે તે મુહૂર્ત પ્રમાણે હોય છે. આ રીતે દિવસ અથવા રાત્રિના એક પહોરની ઉત્કૃષ્ટ લંબાઈ કાળની અપેક્ષાએ હા મુહર્તની હોય છે, તથા દિવસ અને રાત્રિના એક પહોરની કાળની