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भगवती सूत्रे
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अथ च जघन्यको द्वादशमुहूर्ती दिवसो भवति ? भगवानाह - ' सुदंसणा ! आसाढ़पुन्निमाए उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भव, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई ras' हे सुदर्शन ! आषाढपूर्णिमायाम् उत्कृष्टेन अष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति, अथ च जघन्येन द्वादशमुहूर्त्ता रात्रि भवति, अत्र आपादपौर्णमास्यामिति कथनं पञ्चसंवत्सरिकयुगस्यान्तिमवर्षापेक्षया विज्ञेयम्, यतस्तत्रैव आपाढपौर्णमास्यामष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति, सार्द्धचतुष्टयमुहर्त्ता च तत्पौरुपी भवति, वर्षान्तरे तु यत्र दिवसे कर्क संक्रान्ति मवति तत्रैवासौ संभवति इति बोध्यम्, तथैव'पोसस्स पुन्निमाए णं उकोसिया अट्ठारसमुहुता राई भव, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भव' पौषस्य पूर्णिमायां खलु उत्कृष्टिका - उत्कर्षेण अष्टादशमुहर्त्ता रात्रि होती है, और कब छोटा दिन जो कि १२ मुहर्त्त का होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - ' सुदंसणा ! आसाढपुन्निमाए उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवह, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवद्द ' हे सुदर्शन ! आषाढमास की पूर्णिमा में दिन १८ मुहूर्त्त का होता है और रात्रि १२ मुहूर्त की होती है । ' आषाढ़ मास की पूर्णिमा में ' ऐसा जो कथन किया है वह पांच वर्ष के युग के अन्तिम वर्ष की अपेक्षा से कहा गया है क्योंकि उसी आषाढी पूर्णिमा में १८ मुहूर्त का दिन होता है। और उस समय ४|| मुहूर्त की पौरुषी होती है । तथा वर्षान्तर में जिन दिन कर्क संक्रान्ति होती है उसी दिन यह पौरुषी होती है ऐसा जानना चाहिये | इसी प्रकार 'पोसस्स पुन्निमाए ण उक्कोसिया अट्ठा रस मुहुत्ता राई भवइ जहन्निया दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ' पोष मास की पूर्णिमा में उत्कृष्ट रूप से १८ मुहूर्त की रात्रि होती है और
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भडावीर अलुना उत्तर-" सुदंसणा ! आसाढ पुन्निमाए उक्कोसए अट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ " हे सुदर्शन ! अषाढ भासनी પૂર્ણિમાએ વધારેમાં વધારે ૧૮ મુહૂર્તના દિવસ અને એછામાં ઓછા ૧૨ મુહૂર્તની રાત્રિ થાય છે ‘ અષાઢ માસની પૂર્ણિમાએ ” એવું જે કથન કરવામાં આવ્યું છે તે પાંચ વર્ષના યુગના અન્તિમ વર્ષની અપેક્ષાએ કરવામાં આવ્યુ છે, કારણ કે એજ અષાઢી પૂર્ણિમાએ ૧૮ મુહૂતના દિવસ હાય છે ત્યારે જા મુહૂતના એક પહેાર થાય છે તથા વર્ષોંમાં જ્યારે કસ'કાન્તિ થાય છે, ત્યારે જ આ મુહૂર્તને પહેાર થાય છે એમ સમજવું. એજ પ્રમાણે " पोसरस पुन्निमा उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ” घोष भासनी पूचिमा सांणाभां साथी १८ भुहूर्त'नी रात्रि भने