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है तृतीय दशा
हिन्दीभाषाटीकासहितम् ।
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शैक्षो रात्निकस्य पुरतो गन्ता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।१।। शैक्षो रात्निकस्य सपक्षं गन्ता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।२।। शैक्षो रात्निकस्यासन्नं गन्ता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।३।। शैक्षो रात्निकस्य पुरतः स्थाता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।४।। शैक्षो रात्निकस्य सपक्षं स्थाता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।५।। शैक्षो रात्निकस्यासन्नं स्थाता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।६।। शैक्षो रात्निकस्य परतो निषीदिता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।७।। शैक्षो रात्निकस्य सपक्षं निषीदिता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।८।। शैक्षो रात्निकस्यासन्नं निषीदिता भवत्याशातना शैक्षस्य ।।६।।
पदार्थान्वयः-सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के पुरओ-आगे गंता-जाए तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है । सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर. के सपक्खं-सम-श्रेणि में गंता-गमन करे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है । सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के आसन्न-समीप होकर गंता-गमन करे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है । सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के पुरओ-आगे चिट्टित्ता-खड़ा हो तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है । सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के सपक्ख-सम-श्रेणी में चिट्ठित्ता-खड़ा हो तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है । सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्राकर के आसन्नं-अत्यन्त समीप होकर चिट्ठित्ता-खड़ा हो तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है । सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के पुरओ-आगे निसीइत्ता-बैठे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है । सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के सपक्ख-सम-श्रेणी में निसीइत्ता-बैठे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है । सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के आसन्नं अत्यन्त समीप निसीइत्ता-बैठे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है ।
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