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दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम्
इमं - इसका
इमं - इसको नियल-बेड़ी जुयल - सांकल से संकोडिय - संकुचित कर मोडियं करेह-मोड़ डालो इमं - इसके हत्थ - छिन्नयं करेह - हाथ छेदन कर डालो इमं - इसके पाय छिन्नयं करेह-पैर काट डालो इमं - इसके, कण्ण छिण्णयं करेह-कान छेदन कर डालो, इमं इसका, नक्क छिण्णयं करेहं नाक काट डालो इमं - इसके उट्ठ- छिन्नयं करेह-ओष्ठ-छेदन करो इमं - इसका सीस - शिर छिन्नयं-छिन्न करेह करो इमं - इसका मुख - छिन्नयं करेह - मुख छेदन करो इमं - इसकी वेय-छिन्नयं करेह - जननेन्द्रिय का छेदन करो हिय-उप्पाडियं- - हृदय उत्पादन करेह करो एवं इसी प्रकार नयण - नेत्र वसन - वृषण दसण-दाँत वयण-वदन मुख-मुख जिब्भ-जिहा उप्पाटन-उत्पाटन करेह-करो इमं - इसको घोलियं दधिवत् मथन करेह-करो इमं - इसको सूलाकायतयं-शूली पर चढ़ा दो इमं - इसके सूलाभिन्नं-शूली से टुकड़े-टुकड़े कर डालो इमं - इसके (शरीर पर शस्त्र आदि से व्रण- घावकर) खार-वत्तियं करेह नमक (सज्जी आदि को) सिञ्चन करो इमं - इसको दब्भ-वत्तियं करेह - कुशा आदि तीक्ष्ण घास से काटो इमं - इसको सीह-पुच्छयं करेह - सिंह की पूंछ से बांध दो इमं - इसको वसभ-पुच्छयं करेह - वृषभ की पूंछ से बांध दो इमं - इसको दवग्गि-दद्धयं करेह-दावाग्नि में जला दो इमं - इसको काकिणी-मंस-खावियं करेह-इसके मांस के कौड़ी के समान टुकड़े बना कर खिलाने का प्रबन्ध करो इमं - इसका भत्त-पाण- भोजन और जल का निरुद्धयं करेह-निरोध करो इमं - इसका जावज्जीव-जीवन पर्यन्त बंधणं करेह-बन्धन करो इमं - इसको अन्नतरेणं- किसी और असुभेण -अशुभ कुमारेण - कुमृत्यु से मारेह - मार डालो । इस प्रकार अन्याय - पूर्ण व्यवहार नास्तिक का अपनी बाहिरी परिषत् से होता है ।
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षष्ठी दशा
मूलार्थ - इसको दण्डित और मुण्डित करो । इसका तिरस्कार करो । इसको मारो | इसको बेड़ी, जञ्जीर और सांकल आदि से काष्ठादि पर बांध दो | इसके अङ्ग अङ्ग को संकुचित कर मोड़ डालो। इसके हाथ, पैर, नाक, ओष्ठ, शिर, मुख और जननेन्द्रिय का छेदन करो । इसके हृदय, नेत्र, दांत, वदन, जिह्वा ओर वृषणों का उत्पाटन करो । इसको वृक्ष से लटका दो, भूमि पर रगड़ो। इसके अधोद्वार से शूली प्रवेश कर मुंह से बाहर निकाल दो। इसके शूल से टुकड़े-टुकड़े कर डालो | इसके घावों पर नमक छिड़को । इसको कुशा आदि तीक्ष्ण घास
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