Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrut Skandh Sutra Sthanakvasi
Author(s): Atmaram Maharaj
Publisher: Padma Prakashan

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Page 542
________________ दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् - आउट्टियाए=जानकर आउयं आयुष्कर्म आउसं आयुष्मन् ! हे दीर्घायु ! आउसेसं आयु के शेष भाग को आएसणाणि शिल्प-कला-स्थान (कारखाने) आगया आगई हो आगमि(मे)स्साणं आगामी जन्म में आगाराओ=घर से आचार(यार)-संपया आचार-संपत् आच्छिज्जं किसी निर्बल से छीन कर लिया हुआ आणवेइ आज्ञा करता है आणाए आज्ञा से आति(इ)क्खेज्जा कहे आदि-आदि आदिगरे आइगरे देखो आदेय-वयणे आदेय वचन, ग्रहण करने योग्य वचन आभट्ठस्स बुलाने पर आभोएइ अवलोकन करता है आमंतित्ता=आमंत्रित करके आमुक्कबाल-भावं-बाल भाव के छोड़ने पर आयं=आत्मा (की समर्थता) को आय-जोइणं आत्मा के योगों को वश में करने वाले आयट्ठीणं आत्मार्थी आयतणाणि धर्मशाला आदि प्रमुख स्थान आयति-ठाणं आयति-स्थान आय-परक्कमाणं आत्मा के लिए पराक्रम करने वाले आयमइ आचमन करता है आय-हियाणं आत्मा का हित करने वाले आयरिओ=आचार्य आयरिय-उवज्झाएहिं आचार्य और उपाध्यायो ने आयरिय-उवज्झायाणं आचार्य और उपाध्यायों की आया आत्मा आयाण-भंडमत्त-निक्खेपणा-समियाण उपकरण आदि को यत्नाचार पूर्वक उठाने वाले (साधु) आयार-गुत्तो गुप्त आचार वाला, सदाचार की रक्षा करने वाला आयार-गोयर-संगाहिता=आचार और गोचर विधि सिखाने वाला आयार-वं आचारवान्, सदाचारी आयार-विणए आचार-विनय आयार-विणएणं आचार-विनय से आयारेमाणे सामान्यतया आचरण करते आरंभ-समारंभाओ=आरम्भ-समारम्भ अर्थात् पाप रूप व्यापार-कृत्य से जीव हिंसा करना आरंभे पाप-पूर्ण कृषि आदि कर्म आरणिया अरण्य-जंगल में रहने वाले आरामाणि=आराम, उद्यान आरोहइ-चढ़ता है आरोह-परिणाह-संपन्ने उपयुक्त शरीर की लम्बाई और चौड़ाई वाला आलवइ-संभाषण करता है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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