Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrut Skandh Sutra Sthanakvasi
Author(s): Atmaram Maharaj
Publisher: Padma Prakashan

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Page 551
________________ शब्दार्थ-कोष जत्थ जहां जदा=जिस समय जया जिस समय जल्ल=उच्चार-पासवण देखो जवजवा कलम-मसूर देखो जससा=यश से जस्स-जिसको, जिसके जहन्नेण जघन्य से, कम से कम जहा जैसे जहा-नामए जिस प्रकार, जैसा कोई जाइ-जाति, उत्पत्ति, जन्म जाई-जैसे जाइ-मरणं-जन्म और मृत्यु जाइ-सरणेणं जाति स्मरण से, गत जन्मों के अनुभव-स्मरण से जागरमाणे-जागते हुए जागरा जागते हैं जाणं जानता हुआ, जानता हूं जाणं यान जाण=यान जाण(णा) इ.ति जानता है जाणगं यान जाण-प्पवरं श्रेष्ठ रथ को जाणमाणो-जानता हुआ। जाण-सालं यान-शाला में जाण-साला=यान-शाला जाण-सालिय=यान-शालिक को जाण-सालियस्स यान-शालिक के जाणाइं=यानों को जाणित्तए जानकर जाणित्ता जानकर जाणे-जानता हो जाततेयं अग्रि जायणी आहारादि याचना करने की भाषा जारिस-जिस प्रकार जाव-यावत् जाव-जीवाए जीवन पर्यन्त जीवन भर जावि-जो भी जिण-पूयट्ठी जिन के समान पूजा की इच्छा करने वाले जिणाणं-जिन देवों के जिणो जिन भगवान् जुग-मायाए युग मात्रा प्रमाण से जुग-मित्तं-युग-मात्र जुत्तामेव-तय्यार कर, जुड़ा हुआ जुत्ते युक्त जुयल-नियल-जुयल देखो जे जो जेणेव जहां जेयावण्णे जो कोई भी अन्य जेहिं जिन से जोइणा-प्रकाश से जोइस-प्पहा=ववगय-गह-चंद देखो जोए योग जोएइ-जोड़ता है जोत्तेण=योक्त्र से जोवणगं यौवन को ज्झियायमाणेण=देदीप्यमान हुए | झंझकरे फूट पैदा करपे वाला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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