Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrut Skandh Sutra Sthanakvasi
Author(s): Atmaram Maharaj
Publisher: Padma Prakashan

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Page 564
________________ २८ दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् भोगेहिं भोगों के विषय में भोयणस्स भोजन की मइ-संपया मति-सम्पत्, विशिष्ट बुद्धि मउलि-कडे धोती की लांग न देना मक्कडा-संताणए मकड़ी का जाला मग्गस्स मार्ग का मज्जण-घराओ स्नान-गृह से मज्झंपि=मेरे लिए भी मज्झं-मज्झेण=बीचों-बीच मज्झत्थ-भाव-भूतेमध्यस्थ का भाव रखते हुए मज्झे मध्य में मण-गुत्तीणं मनोगुप्ति वाले, मन का निग्रह अर्थात् पाप आदि से मन की रक्षा करने वाले मण-पज्जव-णाणे मन:-पर्यव-ज्ञान. मन के पर्याय का ज्ञान, ज्ञान का चौथा भेद मणामं मन का प्रिय (भोजन) मणुस्स-क्खेत्तेसु मनुष्य क्षेत्र, मनुष्य का उत्पत्ति या जन्म का स्थान मणुन्नं मनोज्ञ, सुन्दर, रमणीय मणो-गए मनोगत, मन में स्थित मत्त=पात्र विशेष। आयार-भंड-मत्त देखो मत्तेण=पात्र विशेष से मत्थयं मस्तक को मत्थय=मस्तक मद्दन कसाय-दंतकट्ठ-देखो महज्जुइएसु=अत्यन्त सुन्दर कान्ति वाले महड्ढिए बड़े ऐश्वर्य वाला महड्ढिएसु-बड़े ऐश्वर्य-शालियों में महत्तरगा=अधिकारी लोग महा-आसा=बड़े-बड़े घोड़े महा-परिग्गहे=अधिक परिग्रह (ममत्व) वाला महा-माउया महा-मातृक, कुलवती माता की सन्तान महा-मोहं महामोहनीय कर्म महारंभा हिंसा आदि उत्कट कामों को आरम्भ करने वाली महारंभे हिंसा-आदि उत्कट काम करने वाला महा-रवे बड़ी ध्वनि, बड़ा शब्द महालयंसि बड़े विस्तार वाले महावीरे=श्री श्रमण भगवान् महावीर स्वामी महावीरस्स=महावीर स्वामी के लिए महा-समर-संगामेसु-बड़े भारी युद्धों में महा-सुक्खे-बड़े सुख वाला या वाली महिच्छा उत्कट इच्छा वाली महिच्छे-अति लालसा वाला, उत्कट इच्छा वाला महिसाओ भैंस महिसस्स-भैंस के महुर-वयणे-मीठे वचन बोलने वाला माई-ठाणे माया या छल के स्थानों को माणाओ=मान से, तोल से माणुसगाइं मनुष्य-सम्बन्धी माणुस्सए मनुष्य-सम्बन्धी | माणुस्सगा मनुष्यों के, मनुष्य-सम्बन्धी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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