Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrut Skandh Sutra Sthanakvasi
Author(s): Atmaram Maharaj
Publisher: Padma Prakashan

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Page 569
________________ शब्दार्थ-कोष ३३५ वोसठ्ठ-काए व्युत्सृष्ट-शरीर, शरीर की | संठाण-संठिया-खुरप्प-संठाण-देखो ममता त्यागने वाला .. संदमाणिया पालकी विशेष सउत्तिङ्ग-कीड़ी के नगर से युक्त, जहां संपउंजे प्रयोग करता है कीड़ियाँ रहती हों संपन्ने-आरोह–परिणाह-संपन्ने देखो सउदगे जल वाली संप(प्प) मज्जइ, ति=संप्रमार्जन करता है, सओसे=ओस वाला अच्छी तरह साफ करता है संकममाणे संक्रमण करने वाला, जाने वाला संपय-हीणस्स सम्पत्ति-हीन पुरुष संकोडिय-नियल-जुयल-देखो ___ के पास संगह-परिन्ना=संग्रह-परिज्ञा नाम वाली संपाविओ-कामे=(मोक्ष-) प्राप्ति की कामना आठवीं गणि-सम्पत् या इच्छा वाले संगहित्ता संगृहीत करने वाला संपिहित्ता ढक कर संगहित्ता=सिखाने वाला, संपूएत्ता-पूजा करने वाला आयार-गोयर-देखो संफासणया-पडिरूव-काय-संफासणया संगल्लि रथों का समुदाय देखो संगोवित्ता-संगोपन करने वाला, छिपा कर संबलि–फालिया शाल्मली वृक्ष की फली रखने वाला संबुक्कावट्टा-शंख के समान वर्तुल आकर संघट्टित्ता स्पर्श करने वाला से भिक्षा लेने का एक प्रकार : संचाएति समर्थ हो सकता है संभार-कडेण=कर्म के भार से प्रेरित किया संचिणित्ता सञ्चय कर हुआ । सा. इकट्ठा किया हुआ संजम-बहुला=बहु-संयमी, बहुतायत से संयम-धुव-जोग जुत्ते संयम क्रियाओं के संयम करने वाले योग में युक्त होने वाला, संयम में संजम-समायारी=संयम की समाचारी निश्चय से प्रवृत्ति करने वाला सिखाने वाला संलवित्तए संभाषण करने योग्य संजमेण=संयम से संवच्छरस्स संवत्सर (वर्ष) के संजय संयत साधु को संवर-बहुला संवर की बहुलता वाले, संजयस्स निरन्तर संयम करने बहुतायत से कर्म-सन्तति का निरोध वाले का करने वाले संजयां निरन्तर यत्नशील होकर संववहाराओ-कय-विक्कय-मासद्ध-देखो संजलणे प्रतिक्षण रोष करने वाला, समाधि | संवसमाणे समीप वसता हुआ, नजदीक के आठवें स्थानक का सेवन करने वाला | रहने पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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