Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrut Skandh Sutra Sthanakvasi
Author(s): Atmaram Maharaj
Publisher: Padma Prakashan

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Page 573
________________ सुतवस्सियं = भली प्रकार से कामना - रहित तप करने वाला सुति = स्मृति सुत्तं = सूत्र सुत्ता=सोए हु सुद्धं=निर्दोष शब्दार्थ-कोष सुद्धप्पा = शुद्धात्मा, सदाचार आदि से आत्मा को शुद्ध रखने वाला सुमणसे = दत्त - चित । सा. प्रसन्न -चित्त सुमणा = प्रसन्न - चित्त सुमरसि = स्मरण करते हैं सुसमरित्तए = स्मरण करने के लिए सुमिण - दंसणे = स्वप्न दर्शन, स्वप्न में देव आदि का दिखाई देना सुयं = सुना है सुय - विणणं श्रुत- विनय से शास्त्र के विनय से सुय - संपया श्रुत-संपत्, शास्त्र - ज्ञान - रूप लक्ष्मी, शास्त्र का उच्च ज्ञान सुलभ - बोहिए - सुलभ - बोधिक कर्म को करने वाला, सहज ही में बोध प्राप्त करने वाला सुसमाहिए = सुसमाहितात्मा सुसमाहिय-लेस्सस्स = भली प्रकार स्थापित शुभ लेश्याओं को धारण करने वाला सूइ = सुई से सूर- ववगय-गह-चंद - देखो सूर - प्पमाण - भोई= सूर्य - प्रमाण भोजन करने वाला, सूर्योदय से सूर्यास्त तक भोजन की ही रट लगाने वाला, असमाधि के १६ वें स्थान का सेवन वाला Jain Education International सूरा - शूर सूलाभिन्नं शूली से टुकड़े-२ करना सूलाकायतयं = शूली पर चढ़ाना से = वह, उसके सेट्ठि = श्रेष्ठी को, व्यापारी को सेणा = सेना सेणावतिंमि=सेनापति के सेणि- सुद्धि - ज्ञान और दर्शन की शुद्ध श्रेणि को सेणिए = श्रेणिक राजा सेणिएणं = श्रेणिक राजा से सेणिय - रन्नो = श्रेणिक राजा का सेनाव = सेनापति को सेय = श्वेत, सफेद सेल - गोले (इव) = पत्थर के गोले के समान सेविज्जा = सेवन करे सेहं = शैक्ष को, शिष्य को सेहत रागस्स = शिष्य के पास सेहे - शिष्य सोच्चा-सुन कर सोयंति = शोक उत्पन्न करते हैं सोयं = स्रोत, श्वास निकलने का मार्ग सोहित्ता = शोधन कर हंताए= चोट पहुँचाने पर (छेदे जाने पर) eg - तुट्ठे = हर्षित और संतुष्ट होकर हडि - बंधयं = काष्ठ से बंधन करना = सा. हथकड़ी डालना हणित्ता=मारकर हत्थ - कम्मं - हस्तक्रिया ३७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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