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विणयं= विनय
विणय - पडिवत्तीए = विनय प्रतिपत्ति से, विनय के आचरण से
विणय - पडिवत्ती = विनय - प्रतिपत्ति विण्णय - परिणायमित्ते = जब उसका ज्ञान परिपक्व हो जाता है
वित्तंमि=धन पर
वित्ति= आजीविका
विदाय = जानकर
विदितापरे = मोक्ष के स्वरूप को जानकर विद्वंसण - धम्मा= नाश होना जिनका
धर्म है
विपडिवदंति = (अपने दोषों को दूसरों के माथे मढ़कर) अपलाप करते हैं। विप्पजहणिज्जा=त्यागने योग्य विप्पमुक्कस्स=बन्धनों से मुक्त विप्पवसमाणे दूर रहने पर विभज्ज=फोड़कर
विभूसिए - विभूषित, अलङ्कृत वियड =सचित्त
दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम्
वियड-गिहंसि खुले घर में वियड - भोई - प्रकाश में ही अर्थात् सूर्य के रहते ही भोजन करने वाला, रात्रि को भोजन न करने वाला
वियार - भूमि = मलोत्सर्ग की भूमि, पाखाना जाने की जगह
Sux
वियारेइ = विदारणा करता है, विनाश करता है
वियाले = विकाल में, रात्रि या संध्या के
समय
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विरत्तस्स - सव्व - काम - विरत्तस्स देखो विरूव-रूवेहिं - नाना प्रकार के
विलेवण = विलेपन, कसाय दंतकट्ठ- देखो विवज्जेज्जा = स्त्री, पशु और पंडक (नपुंसक)
से रहित
विसमासी = सर्प
विसो = विष को
विस्सरं=विस्वर, कर्ण-कटु
विहरइ = विचरता है, विचरती है
विहरति = विहार करें
विहरमाणे = विचरता हुआ
विहरामो = विचरण करेंगे
विहरि ( रे ) ज्जा = विचरें, विहार करें विहारेण = विहार से
विहिंसइ = मारता है
वुड्ढ ( टठ्) - सीले = वृद्ध जैसा स्वभाव रखने
वाला
वुड्ढ - सेवि = वुद्धों की सेवा करने वाला वुत्ता = कथन किये हैं
वुत्ता = (समाणे ) = कहे जाने पर
वेत्ते =वेत से
|वेढेण= गीले चाम से
वेय- छिन्नयं = जननेन्द्रिय का छेदन वेयणिज्जं = वेदनीय कर्म वैयावच्चे = सेवा के लिए
वेर - बहुले = अधिक वैर करने वाला वेरमण = विरमण व्रत, सावद्य योग की निवृत्ति रूप सामायिक व्रत वेरातणाइं - वैर भाव के स्थानों को
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