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शब्दार्थ-कोष
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भत्ताइं भक्तों (आहार) को भत्तारं पालन करने वाले को भत्तारस्स भर्ता, पति के लिए भत्तेणं भक्त (तेले) के साथ भदंतु कल्याण हो भयमाणस्स सेवन करने वाले भवइ, ति है, होता है भवंकुरा-भव-रूपी अंकुर, पुनर्जन्म रूपी ।
वृक्ष के अंकुर भवंति हैं भव-क्खएणं-देव-भव के क्षय के
कारण भवग्गहणे भव-ग्रहण, बार-बार जन्म भवतु हो भसे बोलता है भाइल्लेति=(व्यापार में) हिस्सेदार भाणियव्वो कहना चाहिए भायणेण=भाजन, पात्र, बरतन से भाया भाई भार-पच्चोरुहणया भार-प्रत्यवरोह गच्छ के
भार का निवाहना, विहार प्रतिपत्ति का
एक भेद भारियत्ताए पत्नी-रूप से भारिया पत्नी भावे भाव, विचार भावेमाणाणंभावना करते हुए भासइ कहता है भासाओ भाषाएं भासा-समिया भाषा-समिति व विचार
और यत्न पूर्वक भाषण करने वाले
भासा-समियाणं भाषा-समिति ...... का भासित्तए=बोलने के लिए भासित्तए भाषण करने के लिए भिंगारं= गारी, एक माङ्गलिक कलश भिक्खं भिक्षा भिक्खु-भिक्षु, अनगार साधु भिक्खुणो भिक्षा द्वारा निर्वाह करने वाले
साधु की भिक्खु-पडिमंभिक्षु-प्रतिमा भिक्खु-पडिमाओ=भिक्षु की प्रतिमाएँ भितए वैतनिक पुरुष, सेवक, नौकर भिंलिंग-सूवे=मूंग की दाल भुंजमाणस्स जीमते हुए, भोजन करते
हुए के भुंजमाणी भोगती हुई भुंजमाणे भोगते हुए, खाते हुए भुंजिस्सामो=भोगेंगे भुज्जतरो=प्रभूत, अधिक, बहुत भुज्जो पुनः पुनः भूओवघाइए जीवों का उपघात
करने वाला भे=आपका भेत्ता=भेदन करने वाला भेयाणं भेद के लिए हो भेरवं भयावह (परिषह) भो=हे, अय, सम्बुद्धयर्थक अव्यय भोए=भोग भोग-पुत्ता भोग-पुरुष, विलासी मनुष्य
भोग-भोगाइं भोगने योग्य भोग | भोग-भोगे=भोग्य भोगों का
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