Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrut Skandh Sutra Sthanakvasi
Author(s): Atmaram Maharaj
Publisher: Padma Prakashan

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Page 561
________________ पाणाइवायं = जीव-हिंसा पाणाइवायाओ = जीव-हिंसा से पाणिणं = प्राणियों के पाणिणा = हाथ से पाणि - पाए = हाथ और पैरों वाले पाणे = प्राणियों को पामिच्चं = उधार लिया हुआ पायं=चरण, पैर पायच्छित्तं = प्रायश्चित्त पारलोइए = परलोक - सम्बन्धी पालंबमाण = लटकते हुए पालेमाणे = पालन करता हुआ पाव-फल- विवागे = पापकर्म का फल या परिणाम पावाइं= पाप पासवण - उच्चार- पासवणा देखो पासाइं= पार्श्व भागों को पासित्त= देखने के लिए पासिज्जा = देखे पासित्ता = देखकर पिंडवाय-पडियाए-पिण्डपात अर्थात् भिक्षा के लिए पिट्टेइ = पीड़ा पहुंचाते हैं पिट्ठओ = पीछे से पिट्ठि - मंसिए = पीठ पी निंदा करने वाला पिणद्ध=पहना हुआ पियं=प्रिय पिय- दंसणे - प्रिय-दर्शन पिया = पिता शब्दार्थ-कोष Jain Education International पिसुण्ण - परपरिवायाओ = चुगली और निंदा से पीढ - फलग = चौकी पुच्छणी = मार्गादि या अन्य प्रश्नादि पूछने की भाषा पुट्ठस्सवागरणी = प्रश्नों की उत्तर रूप भाषा पुढवी = पुथिवी पर पुढवी - सिलापट्टए - पृथिवी के शिला पट्ट पर पुणरागमणिज्जा=बार-बार आने वाले पुणो- पुणो- पुनः-पुनः, बार-बार पुण्णभद्दे = पुण्यभद्र, एक उद्यान का नाम पुत्तत्ताए = पुत्र - रूप से पुप्फ- भोयणं = पुष्पों का भोजन पुमत्ताए = पुरुषत्व पुरओ=आगे पुरत्थाभिमु= पूर्व दिशा की ओर मुंह कर पुरादिगिंच्छाए = पहली (पूर्व-जन्म की) क्षुधा से पुरिसजाए - पुरुष - जात पुरिसाणं = पुरुषों के पुरिसे - कोडुंबिय - पुरिसे देखो पुरिसो= पुरुष पुव्व - पडिलेहियंसि = पूर्व प्रतिलेखित, पहले के देखे हुए पुव्वाउत्ते = साधु के भिक्षा मांगने को आने से पहले पकाकर उतारा हुआ पुव्वागमणेण = आने के पहले पुव्वानुपुव्वि = अनुक्रम से पूय = विकृत रुधिर, पीप For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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