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दोच्चपि = दो बार दोच्चा = दूसरी दोवि=दोनों
दोसं= दोषों को
दोस - निघायणा - विणाए = दोष-निर्घात विनय, दोष नाश करने का विनय, विनय - प्रतिपत्ति का एक भेद
धंसिया = ध्वस करके
धंसेइ = कलङ्कित करता है
धम्म (म?) ट्ठी=धर्मार्थी
धम्मियं = धार्मिक, धर्म-कार्यों में काम आने
वाला
धम्मे= धर्म में
धरणी-तलं = धरातल
धरिज्जमाणेणं=धारण किए हुए धिती = धृति, धैर्य
धुवं=निश्चित रूप
धूत- बहुले = प्राचीन कर्मों से बंधा हुआ धूमेण = धूम से, धुँए से
धूया=कन्या
नक्क छिन्नयं = नाक काटना
नगरं, रे= नगर
नगर - गुत्तियं = नगर के रक्षकों को
नदं = शब्द
नमंसइ=नमस्कार करता है
दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम्
नमंसित्ता = नमस्कार कर नयइ = शब्द करता है
नयण - वसन - दंसण-वदन जिब्भ उप्पाडियं = इसके नेत्र, वृषण, दांत, मुख और जिह्वा को उत्पाटन करो
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नयरी = नगरी
नयवं = न्याय करने वाला मन्त्री
नरए = नरक लोकों में
नरग - धरणी-तले = नरक के धरातल में नरगा= नरक लोक
नरय-वेयणं=नरक की वेदना अर्थात्
कष्ट
नरवति= राजा
नागवरा = श्रेष्ठ हाथी
नागा = हाथी
नाम=नाम वाला
नाम - गोत्त (य) स्स=नाम और गोत्र का नाम - गोयं = नाम और गोत्र
नायए = ज्ञाति अर्थात् जाति से सम्बन्ध रखने वाला, जातीय सम्बन्धी
नायगं= नायक को, नेता को
नाय - विधि- अपनी ही जाति के लोगों में भिक्षावृत्ति करना
नाहिय- दिट्ठि = नास्तिक दृष्टि वाला नाहिय - पण्णे = नास्तिक बुद्धि वाला नाहिय-वाइ= नास्तिक-वादी निक्खते ( समाणे ) = निकलने पर, जाने पर
निक्खेवणा= आचार - भंड-मत्त देखो निगच्छइ = निकलते हैं निगमस्स = व्यापारियों के । सा. जिस
नगर में व्यापारी बहुत रहते हों उसके, व्यापारियों के निवास स्थान के निगूहिज्जा = छिपाए
निग्गंथा (त्था), थाणं - राग-द्वेष की
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