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अर्थात् सर्वोत्तम योग-रूपी सम्पत्ति पओद-लट्ठि=चाबुक पओद - धरे = चाबुक वाले
पंक - बहुले = पाप रूपी कीचड़ से आवेष्टित पंच-पांच
दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम्
पंचिंदियाणं=पञ्चेन्द्रियों को, पांच इन्द्रियनाक, कान, आंख, जिहा और स्पर्श वाले जीवों को
पंत - कुलाणि= अधम अर्थात् नीच कुल में
उत्पन्न
पंताई = अन्त प्रान्त आहार अर्थात् उच्छिष्ट या भोजन करते हुए शेष रहा हुआ
अन्न
पकुव्वइ = ( उपार्जना) करता है पक्खिते (समाणे) = प्रक्षिप्त किये जाने पर, फेंके जाने पर पक्खिय-पोसहिएसु = पक्ष के अन्त में किये जाने वाले पौषध अर्थात् उपवास के दिनों मे
पगाढं = अत्यन्त कठोर या तीक्ष्ण पग्गहिय= ग्रहण किया हुआ पच्चक्खाइत्ता=प्रत्याख्यान कर अर्थात् पाप
का त्याग कर पच्चक्खाण-पोसहोववासाइं = प्रत्याख्यान
और पौषध उपवास पच्चणुभवमाणा=अनुभव करते हुए, भोगते
हुए
पच्चपिणंति = (महाराज से) निवेदन
करते हैं पच्चपिणाहि = निवेदन करो
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पच्चायाति = उत्पन्न होता है पच्चायंति = ( जीव परलोक में) उत्पन्न होते हैं
पच्चुद्धरित्ता = प्रत्युद्धार करने वाला पच्चोरुभति = प्रत्यारोहण करता है, चढ़ता है
पच्चोसकित्तए = पीछे हटना
पच्छा=पीछे पच्छाउत्ते=पीछे उतारा हुआ, साधु के भिक्षा मांगने को आने के बाद चूल्हे से उतारा हुआ पच्छागमणेणं=आने के पीछे पज्जत्तगाणं = पर्याप्ति - पूर्ण (जीवों के) पज्जवे = मन के पर्यवों को =सा. द्रव्य गुण का रूपान्तर होना
पट्ठविय - पुव्वाइं = पहले से ही आत्मा में स्थापित किये हुए
पट्ठवियाइं = आत्मा में स्थापन किये हुए पडल=समूह, झुंड
पडिगया = चली गई
पडिग्ग (गा) हित्तए = ग्रहण करने के लिए पडिगाहित्ता = लेकर
पडितप्पइ = सेवा नहीं करता, सन्तुष्ट नहीं करता पडिनिक्खमइ = चले जाते हैं
पडिपुण्णिदिय= पूर्ण इन्द्रियों वाला पडिपुणे = प्रतिपूर्ण, सम्पूर्ण, पूरा पडिबाहिरं = राज्य से बाहर कर=सा. अधिकार से अनधिकारी (बनाना) पडिमा=उवासग-पडिमा देखो पडिमा = प्रतिमा के, प्रतिज्ञा के
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