Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrut Skandh Sutra Sthanakvasi
Author(s): Atmaram Maharaj
Publisher: Padma Prakashan

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Page 557
________________ ग्रन्थि - रहित साधु, सर्वस्व त्याग करने वाला साधु । णिग्गंथ देखो निग्गंथीओ, थीणं - राग-द्वेष की ग्रन्थि रहित साध्वी, सर्वस्व त्याग करने वाली साध्वी, णिग्गंथी देखो निग्गया = पास गई निग्गुणे= गुण-रहित निच्चं=नित्य, सदा निच्चंधकार = सदा अन्धकार और तम वाले निज्जाण - मग्गे = मोक्ष का मार्ग, कर्म से छूटने का मार्ग निज्जायमाणीए = घर में प्रवेश करते हुए निज्जूहित्ता = निकाल लेने पर, पृथक् रख देने पर या निपटने पर निधायंति = निद्रा लेते हैं निद्धं = स्निग्ध आहार निपच्चक्खाण-पोसहोववासे = जो कभी शब्दार्थ-कोष प्रत्याख्यान और पौषध या उपवास नहीं करता निम्मेरे= मर्यादा से रहित नियडि= गूढ़ कपट वाला नियम = नियम नियल - जुयल - संकोडिय - मोडियं= लोहे की सांकलों के जोड़े से बांध कर मोड़ तोड़ डालना नियल - बंधणं = बेड़ी से बांधना निरणतं=उऋणता ऋण से छुटकारा निरिंधणे = लकड़ी आदि इन्धन के अभाव में निरुद्धयं = भत्त पाण- देखो Jain Education International निविद्वे - छंद-राग-मती- देखो निवेदेज्जा = निवेदन करते हैं निव्वए = व्रत से रहित, जो कभी व्रत नहीं करता निव्वाघाए = निर्व्याघात अर्थात् पीड़ा आदि से रहित निव्वाणं = निर्वाणपद अर्थात मोक्ष निव्वाणमग्गे=मोक्ष का मार्ग, मुक्ति - पथ निसम्म = हृदय में धारण कर निसीइत्ता = बैठने वाला निसीयइ = बैठता है निसीहियं = बैठना निप्फाव = धान्य विशेष निस्सीले शील या सदाचार से रहित निस्सेसं=निःशेष, सम्पूर्ण निस्सेसाए = कल्याण के लिए निहते = मारे जाने पर नीर - कर्म-रज से रहित नेत्ते = नेत्राकार शस्त्र विशेष से २१ नेयाइअस्स=न्याय-युक्त नेयारं = नेता को नेरइया = नारकी नो- निषेधार्थक अव्यय पइठाणे = प्रतिष्ठित, स्थित परंजइ = प्रयोग करने वाला पओग - मइ - संपया - प्रयोग-मति - सम्पदा, वाद-विवाद के अवसर पर स्फुरण होने वाली बुद्धि पओग-संपया=प्रयोग - सम्पत्, प्रकृष्ट For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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