________________
4
१२
दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम्
केवल कप्पं सम्पूर्ण, केवल–ज्ञान के समान
पूण, कवल-ज्ञान के समान | खलु निश्चय से परिपूर्ण
खाइम-खाद्य (खाने योग्य) पदार्थ केवल-दसणे केवल-दर्शन
खामिय=क्षमा किये हुए केवल-मरणे केवल-ज्ञान-युक्त मृत्यु खार-वत्तियं नमक (सब्जी) आदि से केवल-वर-नाण-दंसणे केवल ज्ञान और सिञ्चित केवल दर्शन
खिंसइ निन्दा करता है केवलि-पण्णत्तं केवली, भगवान् के
खिप्पं शीघ्र कहे हुए
खिप्पामेव शीघ्र ही केवली केवली, केवल-ज्ञान वाला,
खुद्दा क्षुद्र-बुद्धि तीर्थङ्कर और सिद्ध भगवान्
खुरप्प-संठाण-संठिआ=क्षुर (उस्तरे) के कोडुबिय-पुरिसे कौटुम्बिक-पुरुष, राज्य
आकार का के सेवक-मन्त्री आदि
खुर-मुंडए क्षुर (उस्तरे) से मुंडित कोणिअ-कोणिक राजा
खेत्तं क्षेत्र, स्थान को कोणिय-राया कोणिक राजा
खेल-उच्चार पासवण देखो कोलावासंसि=धुन वाली लकड़ी पर
गए तत्थ गए देखो कोहणे क्रोध करने वाला
गएहिं गात्रों से कोह-विणएत्ता क्रोध दूर करने वाला
गच्छइ जाता है कोहाओ क्रोध से
गच्छह जाओ खंध-भोयणं स्कन्ध (एक प्रकार के पौधे) गच्छामो (हम) जाते हैं का भोजन
गच्छेज्जा चले, जावे खयं क्षय को
गढिया आसक्त खद्धं (अत्यन्त कठोर) अधिक, प्रमाण से गणंगण, समूह अधिक
गणाओ=एक गण से खमणो सहन करने वाला, सहन-शील
गणि-संपया गणि-सम्पत्, आचार्य की (साधु)
६४ सम्पदाएं खमति क्षमा करता है, शान्ति से सहन
गत्तु-पच्चागया जाकर फिर प्रत्यावर्तन करता है
___करते हुए गोचरी करना, गोचरी का खमाए सामर्थ्य के लिए, सहन-शीलता के
एक भेद लिए
गद्दहेव्व गदहे के समान खमावणाए-क्षमापन के लिए
गब्भ गर्भ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org