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अणुलोमवइ - सहिते = अनुकूल वचन बोलने
वाला
शब्दार्थ कोष
अणोतप्प-सरीरे=घृणास्पद शरीर न हो सा. जिसका शरीर अपने आत्मा को तपाने अर्थात् दुःख पहुंचाने वाला न हो अण्णतरस्स = किसी एक के
अण्णमन्नस्स= परस्पर एक दूसरे के अण्णयरगंसि- किसी एक
अण्णया=अन्यदा
अण्णया (= आणाया) = आज्ञा से कार्य करा
रहे हैं अण्ण-रुइ=अन्य-रुचि अर्थात् जैन दर्शनों के अतिरिक्त दर्शन या धर्म में रुचि करने वाला
अण्णाणी - अज्ञानी पुरुष
अण्णाय = अज्ञात (कुल से)
अतवस्सीए = जो तप करने वाला नहीं है अतिच्छिया = अतिक्रान्त हो जाते हैं अतिजायमाणस्स = घर में आते हुए अतिप्पयंतो=अतृप्त होता हुआ अतिरित्त - स (से) ज्जासणिए = मर्यादा से अधिक शय्या और आसन आदि रखने
वाला
अतिहि-अतिथि
अत्त-कम्मुणा=अपने किये हुए (पाप) कर्म से
अत्त-गवेसए= आत्मा की गवेषणा करने वाला अत्थं- अर्थ
अत्थ-निज्जावए-अर्थ की संगति करता
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हुआ नय-प्रमाण पूर्वक पढ़ाने
वाला
अदिट्ठ - धम्मं - जिसने पहले सम्यग् दर्शन नहीं किया अदिण्णादाणं=अदत्तादान अर्थात् बिना दिया
हुआ लेना
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अदुवा (व)=अथवा
अद्धपेला (डा ) = द्विकोण पेटी के आकार के अधिगरणंसि = कलेश (झगड़ा) अधिकरणाणं=अधिकरणों (कलहों) का अधुवा=अनियत अनुगामियत्ताए=अनुगामिता अर्थात् भव - परम्परा में साथ जाने वाले (सानुबन्ध) सुख के लिए अनुप्पणाणं=अणुप्पणाणं देखो अन्नतरेणं = किसी और अपक्ख-ग्गहिय = किसी विशेष पक्ष को ग्रहण न कर अर्थात् पक्षपात रहित हो कर अपडिलोमया=अकुटिलता, अनुकूलता अपडिवज्जिज्जा (त्ता ) = बिना प्रायश्चित्त ग्रहण किए
अपडिसुणेत्ता = न सुनने वाला अपमज्जिय-चारि = अप्रमार्जित स्थान पर
चलने वाला अपस्समाणे=न देखता हुआ भी अपाणएणं = पानी के बिना
अप्प - कलहा - कलह न करने वाला अप्प - कसाया = क्रोधादि न करने वाला अप्प - झंज्झा = अशुभ न बोलने वाला अप्पडिक्कंता, ते = बिना पीछे हटे
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