Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुदर्शिनीटीका अ०१ सू० ७ स्थलचरचतुष्पदजीवनिरूपणम्
४१ शशकाः मसिद्धाः। 'पसर' प्रशराः द्विखुरा वन्यपशुविशेषाः, 'गोणा' गावः 'रोहिय' रोहिताः चतुष्पदपशुविशेषाः, 'हयगयखर' हया गजाः खराश्च प्रसिद्धाः । करभा:-उष्ट्राः 'खग्ग' खड्गा एकशृङ्गा आटव्याश्चतुष्पदविशेषाः 'गेंडा' इति लोके ख्याताः येषां गमनकाले उभयोरपि पार्श्वयोः पक्षतुल्यानि चआणि लम्बन्ते, 'वानर' वानराः प्रसिद्धाः, गवयाः वत्तुलकण्ठा गो सदृशाः 'रोझ' इति प्रसिद्धाः। 'विग' वृका श्वापदजन्तुविशेषाः भेड़िया' इति प्रसिद्धाः, 'सियाल' शृगालाः प्रसिद्धाः, ' कोला' शूकराः 'मज्जार' मार्जारा-बिडाला 'कोलसुणह' कोलशुनका आटव्यमहाशूकराः ‘सिरिकंदलगावत्त' श्रीकन्दलकाअनेक औरश्रंग जैसी शाखाएँ फूटती हैं। इनके सींगों की जो भस्म बनती है उसे विशाण भस्म कहते हैं । इनके दो खुर होते हैं। और ये जंगल में ही रहते हैं । (उरब्भ)उरभ्र नाम मेंढे का है। (ससय) शशक नाम खरगोश का है। (पसर) प्रशर एक जाति का जानवर होता है, इसके दो खुर हुआ करते हैं । यह जंगल में ही रहता है। (रोहिय) "रोहित" यह भी चार पैरोवाला एक जानवर विशेष होता है। ( हय ) हय-नाम घोड़े का है, (गय) गय-गज नाम हाथी का है । (खर) खर नाम गधे का है। (करभ) करभ ऊँटका नाम है । (खग) खड्गीको हिन्दी भाषा में गेंढा कहते हैं । इसके एक ही सींग होता है, यह जंगल में ही रहता है, इस के पैर चार होते हैं, जब यह चलता है तो उस समय इसकी दोनों तरफ पंखों जैसा चमड़ा लटकने लगता है। (वानर) वानर नाम बंदर का है । (गवय) गवय रोझका नाम है, यह गायके जैसा होता है । और इसका कंठ गोल होता है । (विग) वृक यह हिंसक जंतु होता है और इसे हिन्दी भाषामें भेड़िया कहते हैं । (सियाल) "श्रृगाल" यह जंगली
અનેક ઉપશાખાઓ ફુટે છે. તેમનાં શીંગડાઓની જે ભસ્મ બને છે તેને વિષાણ ભસ્મ કહે છે. તેમને બે ખરી હોય છે, અને તેઓ જંગલમાં જ રહે છે. "उरभ" १२ नाम धेटानु छे. "ससय" श०४ नाम सससानु छ. "पसर" પ્રશર એક જાતનું જાનવર છે, તેને બે ખરી હોય છે. અને તે જંગલમાં રહે છે "रोहिय" 'डित' ५५५ मे व्यापाशी छे. "य" जय मरो घोडी, "गय” गय मेटसे हाथी, "खर" भ२ मेटो गधेडा, "करभ" ४२ सर , "खग्ग" मे.टसे में 31, तेने से शीय छ, ते समा । રહે છે, તેને ચાર પગ હોય છે. જ્યારે તે ચાલે છે ત્યારે તેની બંને તરફ पांसावी यामीटती २ छ. "वानर" वानर पीन छ. "गवय" ગવય એટલે રોઝ, તે ગાયના જેવું હોય છે અને તેની ડેક ગેળ હોય છે. "विंग" ४ मे ही प्राणी छे. तेने छ वाम भाव छ. "सियाल"
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર