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अध्यात्म-कल्पद्रुम शरीर के लिए हितकर होते हैं, जिन्हें भी पकाया या मारा जाता है तब ही वे कुछ गुणकारी होते हैं । उसी तरह से विरले ही ऐसे महापुरुष या महासतियां होती हैं जो विषय कुण्ड से बाहर निकलकर आत्मा का हित करती हैं। जैसे प्रायः सभी विष शरीर के लिए घातक हैं वैसे ही प्रायः सभी स्त्रियां आत्मा के लिए घातक हैं। - हे शांति के इच्छुक जीव ! इस विष वेलड़ी के विषयजन्य किंपाक फल की तरह दूर रह । जैसे किंपाक फल दिखने में सुन्दर, स्वाद में मीठा परन्तु परिणामः में प्राणघातक है वैसे ही स्त्री दीखने में सुन्दर, स्वर में मीठी, भोग में लोलुपी परन्तु सम्पर्क मात्र से आत्मघातक है।
इति स्त्रीममत्व मोचनाधिकारः