Book Title: Adhyatma Kalpdrumabhidhan
Author(s): Fatahchand Mahatma
Publisher: Fatahchand Shreelalji Mahatma

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Page 446
________________ मनुष्य भव की दुर्लभता के दस दृष्टांत ४०५ कोने हैं । खेल में एक बार जीतने को एक कोना जीता जाना कहते हैं । इस प्रकार अखंडपन से लगातार सभी कोने जीते जाने पर तुरंत तुम्हें राज्य मिलेगा । यदि बीच में एक बार भी तुम्हारी हार हो गई तो सभी जीत वृथा होगो । क्या इस प्रकार खेलते हुए कभी राजकुमार राजा को जीत कर राज्य पा सकता है ? कदापि नहीं। कदाचित ऐसा होना संभव हो परंतु खोया हुवा · मानव भव फिर से पाना दुर्लभ है। (५) रत्न-एक साहसी व्यापारी समुद्र मार्ग में व्यापार के लिए निकला और उसने देश विदेश फिरते हुए बहुत से रत्न प्राप्त किये । पीछे लौटते हुए उसका जहाज टूट गया और सब रत्न समुद्र में जा गिरे । सद्भाग्य से वह तैर कर किनारे आया और दवा सेवन से स्वस्थ हुवा। उसने अपने रत्नों को फिर से पाने की अभिलाषा की। परंतु क्या यह संभव है ? समुद्र में गिरे हुए रत्न क्या उसे फिर से मिल सकते हैं ? नहीं जैसे रत्न मिलने दुर्लभ हैं वैसे ही मानव भव-रत्न मिलना भी दुर्लभ है। यह कथा ऐसे भी है कि एक सेठ को रत्नों का संग्रह करने का शौक था परन्तु उसके पुत्र को यह पसंद नहीं था। एक दिन सेठ के अन्यत्र जाने पर पुत्र ने उन रत्नों को परदेशी व्यापारियों को बेचकर नकद दाम कर लिए। जब सेठ घर आया और उसने रत्नों की बात सुनी तो वह बहुत दुःखी हुवा और पुत्र को उन परदेशी व्यापारियों से रत्न वापस लाने की

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