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सुभाषित संग्रह
उत्तराध्ययन सूत्र के छायानुवाद महावीर स्वामी के अंतिम उपदेश से अनुवादित
अपने आपको जीतना चाहिए। अपने आपको जीतना मुश्किल है। जिसने अपने आपको जीता है, वह इस लोक और परलोक में सुखी होता है । - (१-१५)
दूसरे मुझे वध-बंधन आदि से पीड़ा दें, उसकी अपेक्षा मैं स्वयं ही अपने आपको संयम और तप द्वारा वश में रखू यह अधिक उत्तम है।
(१-१६) संसार में जीव को बोधि के ये चार अंग दुर्लभ हैं; मनुष्यपन, सद्धर्म का श्रवण, उसमें श्रद्धा और उसका प्राचरण ।
(३-१) मनुष्यपन पाकर जो प्राणी धर्म सुनकर उसमें श्रद्धा करता है और उसमें पुरुषार्थ कर, तप से पाप कर्म को अपने में आता हुवा रोकता है. वह अपनी मलिनता दूर कर सकता
(३-११) - टूटने के पश्चात जीवन (आयु) को फिर जोड़ा नहीं जा सकता, अतः प्रमाद नहीं करना चाहिए। वृद्धावस्था आने