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( १० हर आन नफे और टोटे में क्यों मरता फिरता है बन बन; अय. गाफिल दिल में सोच जरा, है साथ लगे तेरे दुश्मन । क्या लौंडी-बाँदी-दाई-दादा, क्या बंदा-चेला-नेक चलन; क्या मंदिर-मस्जिद-ताल-कुएं, क्या घाट-सरा क्या बाग चमन ।सब ठाठ।।
(११) जब चलते-चलते रस्ते में यह गौन २७ तेरी ढल जावेगी;
क बधिया २८ तेरी मिट्टी पर, फिर घास न चरने आवेगी। यह खेप जो तूने लादी है, सब हिस्सों में बट जावेगी; धी २६ पूत-जंमाई-बेटा क्या, बन राजी, पास न आवेंगी ।। सबठाठ ।। .
(१२ ) जब मुर्ग ३० फिरा कर चाबुक को, यह बैल बदन का हाँकेगा, कोई नाज समेटेगा तेरा कोई गौन सिये और टांकेगा । हो ढेर अकेला जंगल में, तू खाक लहद ३१ की फांकेगा: उस जंगल में फिर आह ! "नजीर" एक तिनका आन न झाँकेगा।
शब्दार्थ नंबरों से=१---आशातृष्णा, २-डाकू, ३-मौत,४ नगारा, ५-ऊंट, ६-बेपरवाह,७-कफ़न,मुर्दे को ओढ़ाने का कपड़ा ८-छत, 8-धन, १०-सिक्का , ११-आत्मा, १२-सूना, १३-- पन्ना, १४-चान्दी सोना, १५-ध्वजा, १६-सपत्ति,१७-इज्जत, १८—यादी १६-माल असबाब, २०-अभिमानी, २१-गठरी, २२-जरी-गोटा, २३–थान, २४.-हड्डियां-ढांचा, २५-कब-स्मशान, २६-सुरक्षिक, २७-देह, २८-बछड़ी-केरड़ी,२६-बेटी, ३०प्राण पंखेरू, ३१-कव।