Book Title: Adhyatma Kalpdrumabhidhan
Author(s): Fatahchand Mahatma
Publisher: Fatahchand Shreelalji Mahatma

View full book text
Previous | Next

Page 484
________________ संकलित राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार । मरना सबको एक दिन अपनी अपनी बार ॥ १ ॥ आप अकेलो अवतरै, मरै अकेलो होय । यूं कबहुं इस जीव को साथी सगा न कोय ॥ २ ॥ मोह नींद जोर जगवासी घूमे सदा। कर्म चोर चहुं ओर, सरबस लूटै सुधि नहीं ॥ ३ ॥ पंच महाव्रत संचरन, समिति पंच परकार । प्रबल पंच इन्द्री-विजय धार निर्जरा सार ।। ४ ॥ सतगुरु देय जगाय मोह नींद जब उपशमै । तब कछु बनहिं उपाय कर्मचोर आवत रुकै ॥ ५ ॥ धनकन कंचन राज सुख सबहि सुलभ कर जान । दुर्लभ है संसार में एक जथारथ ज्ञान ॥ ६ ॥ दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णावश धनवान, कहूं न सुख संसार में, सब जग देखो छान ॥ ७ ॥ दोपै चाम चादर मढ़ी हाड़ पींजरा देह । भीतर या सम जगत में अवर नहीं घिनगेह ॥८॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494