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अध्यात्मक- कल्पद्रुम
वाले चौपट पासे बनवाए जिन्हें इच्छानुसार डाले जाकर खेल खेला जा सकता था । पश्चात चाणक्य ने शहर में घोषणा कराई कि, "जो कोई मुझे खेल में जीत लेगा उसे स्वर्ण मोहरों का थाल दिया जाएगा और जो हार जाएगा उसके पास से सिर्फ एक ही मोहर ली जाएगी" । ऐसी आकर्षक घोषणा से अनेक मनुष्य पासा का खेल खेले और हार गए, खजाना भर गया ।
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जैसे हारे हुए मनुष्य पासे के खेल से कभी भी अपनी पूंजी वापस नहीं पा सकेंगे वैसे ही जीवों के लिए हारा हुवा मनुष्य भव फिर पाना दुर्लभ है ।
( ३ ) धान्य का ढेर - यदि सारे संसार का धान्य संग्रहित कर एक ढेर लगा दिया जाय और उसमें एक सेर सरसों मिला दी जाय और एक अशक्त बुढ़िया को उसमें से सरसों अलग करने को कहा जाय तो क्या वह वैसा कर सकेगी ? यह नितांत असंभव है । फिर भी कदाचित वह वृद्धा सरसों को अलग कर सके तो भी यह सरसों के सदृश लुप्त हुवा मानव भव फिर से पाना दुर्लभ है ।
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(४) द्यूत - जूना - एक
ने उसे मारकर राज्य गद्दी
राजा वृद्ध हुवा तो उसके पुत्र पाने का विचार किया । राजा ने यह बात जान ली और युक्ति से उसका एक उपाय किया । उसने युवराज को पास बुलाकर कहा कि, को ऐसी रीति है कि जुआ खेलते हुए जब पुत्र जीत जाय तो उसे तुरंत राज्य दे दिया जाता है, अतः हम जुआ खेलें । राज्य सभा के भवन के १००८ स्तंभ हैं, प्रत्येक स्तंभ के १०८
"अपने कुल