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अध्यात्म-कल्पद्रुम आज्ञा दी। परंतु जैसे उन विदेशियों से फिर रत्न पाना दुर्लभ है वैसे ही खोया हुवा मनुष्य भव फिर पाना दुर्लभ है ।
(६) स्वप्न-एक राजकुमार नाराज होकर विदेश चला गया। रात को धर्मशाला में सोते हुए पिछली रात को उसे एक स्वप्न आया कि, “पूर्णिमा के चंद्र ने मेरे मुख में प्रवेश किया।" ठीक उसी समय पास मे सोये हुए एक भिखारी को भी वही स्वप्न आया।
प्रातःकाल दोनों जागे । राजकुमार ने अपना स्वप्न बहुत विनय व भेंट के साथ एक स्वप्न पाठक से निवेदित किया। उस पंडित ने फल बताया कि, “सात दिन के अंदर २ तुझे राज्य की प्राप्ति होगी और उसका तुरत फल स्त्री प्राप्ति होगी" ऐसा कहकर अपनी पुत्री का विवाह उसने उससे कर दिया। सातवें दिन उस गांव का राजा निसंतान ही मर गया और राजकुमार को राज्य मिला। _ भिखारी ने भी अपना स्वप्न एक बाबाजी को सुनाया जिसका फल बाबाजी ने बताया कि तुझे आज भीख मांगते हुए लड्डू मिलेगा। वैसा ही हुवा उसे एक चूरमे का लड्डू भीख में मिला।
राजकुमार के स्वप्न व राज्य प्राप्ति की चारों तरफ फैल हुई बात जब उस भिखारी ने भी सुनी तो उसने अपने भाग्य को धिक्कारा और फिर से वैसे स्वप्न आने की आशा से वह उसी धर्मशाला में सोने लगा परन्तु जैसे फिर से वैसा स्वप्न