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अध्यात्म-कल्पद्रुम है । पूर्वाचार्यों ने कहीं कहीं भार पूर्वक शब्दों में टोका भी है जिसका कारण यही है कि वे जीव पर एकांत उपकार करने की निस्पृह वृत्ति रखते थे अतः इस जीव को शुभ रास्ते लेने के लिए उन्होंने प्रत्येक विषय पर कहा है। ___ इस उपदेश में से साधु और श्रावक को अपनी योग्यतानुसार उपदेश ग्रहण करना है। जो प्राणी नियमानुसार चरण-करण गुणों का अनुसरण करेगा वह थोड़े समय में संसार समुद्र से तरकर मोक्ष सुख को पाएगा। वह सुख महासुख है और अनंतकाल तक रहने वाला है, अतः हमें उस सुख को पाने का प्रयत्न करना चाहिए ।
इस प्रकार से शुभवृत्ति उपदेश नामक अधिकार में साधु को शुभवृत्ति रखने का उपदेश दिया गया जो योग्यतानुसार श्रावक के लिए भी ग्राह्य है। वातावरण ऐसा होता जा रहा है कि लोगों की इच्छा धार्मिक क्रिया से भागने की होती है परंतु यह आत्मघातक वस्तु है। बिना शुभ प्रवृत्ति (क्रिया) के कर्मों का काटना कठिन होता है अतः हमें पूरे अधिकार में उपदिष्ट मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।
इति पंचदशो शुभवृत्तिशिक्षोपदेशाधिकारः