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साम्य सर्वस्व
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अर्थ- जो बुद्धिमान पुरुष इस ग्रंथ का अध्ययन करके चित्त में मनन करेगा वह थोड़े ही समय में संसार से विरक्त हो जायगा और संसाररूप शत्रु की विजयरूप लक्ष्मी के साथ ही मोक्षलक्ष्मी को प्राप्त करेगा ॥ ८ ॥ आर्यागीति
विवेचन - इस उत्तम ग्रंथ की समाप्ति पर जयश्रिया ( श्री मुनि सुन्दरजी ) का आशीर्वाद है कि जो पुरुष इसका अध्ययन कर मनन करेगा वह संसार शत्रु से विजयी होकर मोक्षलक्ष्मी को वरेगा । मात्र अध्ययन से लाभ नहीं होता है, वरन मनन से होता है। बिना मनन के कई पढ़े लिखे भी भारी अनुचित काम करते हैं अतः जैसे पक्का रंग चढ़ाने के लिए पहले वस्त्र को रंग की कुण्डी में भिजोकर काफी समय तक स्थिर रखा जाता है तभी उसपर रंग चढ़ता है, इसी तरह से इस ग्रंथ का अध्ययन कर खूब देर तक मनन करने से यह सार्थक होगा और संसार शत्रु पर विजय दिलाकर मोक्ष
दिलाएगा ।
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इति षोडषः साम्यसर्वस्व धिकारः